लड़के के इन अंगों को चेक करके शादी करती है युवती, जानिए कैसा होता है दूल्हे का बाजार और कहां लगता है ये

लड़के के इन अंगों को चेक करके शादी करती है युवती : Groom Mela is held for Marriage in MIthilanchal Area

लड़के के इन अंगों को चेक करके शादी करती है युवती, जानिए कैसा होता है दूल्हे का बाजार और कहां लगता है ये

Brother Married his Own Sister

Modified Date: November 29, 2022 / 08:01 pm IST
Published Date: August 7, 2022 9:54 pm IST

नई दिल्लीः Groom Mela is held for Marriage  भारतीय समाज में यूं तो शादी को दो परिवारों का मिलन माना जाता है। शादी के लिए लड़के-लड़कियों के परिवार वाले एक-दूसरे के घर जाते हैं और पूरी पूछ-परख और देखने के बाद शादी तय होती है। किसी तरह की खामी मिलने पर शादी कैंसिल हो जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारें में बताने जा रहे है, जहां दूल्हों का मेला लगता है। यहां दूल्हा-दुल्हन नहीं बल्कि लड़की अपने वर को चुनती है। वह भी पूरी पूछ-परख और देखने के बाद।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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Groom Mela is held for Marriage  दरअसल, बिहार के मिथिलांचल इलाके में 700 सालों से दूल्हे का बाजार सजता है. जहाँ हर जाति धर्म के दूल्हे आते हैं और लड़की वाले उनकी वर का चुनाव करते हैं. जिसकी बोली ऊंची दूल्हा उसका है। शादी के लिए यहां बकायदा लड़कियां लड़कों को देखती है। घरवाले भी लड़के की पूरी डीटेल्स पता करते है। इतना ही नहीं इसके बाद दोनों का मिलन होता है, जन्मपत्री मिलाई जाती है। इसके बाद योग्य वर का चुनाव किया जाता है और फिर दोनों की शादी करवाई जाती है।

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1310 ईस्वी में हुई थी शुरूआत

कहा जाता है कि इसकी शुरुआत 1310 ईस्वी में हुई थी। 700 साल पहले कर्णाट वंश के राजा हरिसिंह देव ने सौराठ की शुरुआत की थी। इसके पीछे उनका मकसद था कि एक ही गोत्र में विवाह ना हो, बल्कि वर वधू के गोत्र अलग-अलग हो। इस सभा में सात पीढ़ियों तक ब्लड रिलेशन और ब्लड ग्रुप मिलने पर शादी की इजाजत नहीं दी जाती है। यहां बिना दहेज, बिना किसी तामझाम के लड़कियां अपने पसंद के लड़कों को चुनती है और उनकी शादी होती है। मिथिलांचल में ये प्रथा आज भी बहुत मशहूर है और हर साल इसका आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों युवा आते हैं।

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इस परंपरा को शुरू करने के पीछे ये थी वजह

इस मेले की शुरुआत करने की वजह यह थी कि लड़की की परिवार को शादी के लिए परेशानी का सामना ना करना पड़े। यहां हर वर्ग के लोग अपनी बेटी के लिए पसंद का लड़का ढूंढने आते हैं और इसके लिए ना ही दहेज देना होता है और ना ही शादी में लाखों रुपए खर्च करने होते हैं। इस सभा में आकर लड़की और उसके परिवार को लड़के को पसंद करना होता है और इसके बाद दोनों की पत्रिका मिलाकर हंसी-खुशी दोनों की शादी करवा दी जाती है।

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।