नई दिल्ली: दुनियाभर में आज भी ऐसे कई रहस्य हैं, जिसे साबित करने में बड़े से बड़े वैज्ञानिक नाकामयाब रहे हैं। इतना ही नहीं कई लोगों ने रहस्य सुलझाने के चक्क्र में आनी जान तक गवां दी है। इसका एक उदाहरण बरमुडा ट्रायंगल है, जिसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया। बरमुडा ट्रायंगल को लेकर अलग-अलग लोगों के अलग-अलग दावे हैं। ऐसा ही एक रहस्य आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो हमारे सौर मंडला का है। क्या आप जानते हैं हमारे सौर मंडल में एक ग्रह ऐसा भी है, जहां हीरों की बारिश होती है। लेकिन यहां पहुंच पाना नामुमकिन है। तो चलिए आपको बताते हैं उस ग्रह के बारे में जहां हीरों की बारिश होती है।
दरसल सौरमंडल का पहला ऐसा ग्रह था, जिसकी जानकारी उसे देखे बिना की गई थी। कहने का मतलब है इसकी खोज गणित के अध्ययन से की गई थी। बताया जाता है कि वरुण ग्रह पर मिटटी-पत्थर के बजाय अधिकतर गैस है। इस ग्रह में मीथेन गैस के बादल उड़ते हैं और यहां हवाओं की रफ्तार सौरमंडल के दूसरे किसी भी ग्रह से काफी ज्यादा है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस ग्रह में हीरों की बारिश होती है। उनका दावा है कि वरुण ग्रह के अंदरूनी भागों में एट्मॉस्फियरिक प्रेशर बहुत ज्यादा होता है, जिसकी वजह से हाइड्रोजन और कार्बन के बॉन्ड टूट जाते हैं। इसी वजह से इन प्लैनेट्स हीरों की बरसात होती है। लेकिन यहां इंसान जाना संभव नहीं है।
कहा जाता है कि अगर इंसान वरुण ग्रह में कभी पहुंच भी जाए तो हीरा बटोर नहीं पाएगा, क्योंकि इस ग्रह पर तापमान शून्य से माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। शुन्य डिग्री में ही इंसान की हालत खराब हो जाती है तो फिर 200 डिग्री की बात ही छोड़ दीजिए, इंसान ऐसा जमेगा कि फिर वो खुद एक पत्थर बन जाएगा।
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