Chunavi Chaupal in Devtalab छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में अब विधानसभा चुनाव होने में महज कुछ ही महीने बाकी है। सभी नेता अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं। लिहाजा अब दोनों राज्यों की सियासत भी गर्म होने लगी है। वहीं दूसरी ओर स्थानीय जनप्रतिनिधि और विधायक अपने-अपने क्षेत्र के दौरे पर जा रहे हैं और मतदताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। इस चुनावी साल में विधायकों के प्रदर्शन और क्षेत्र में हुए विकास कार्यों की बात भी जरूरी है। इसलिए हम चुनावी चौपाल कार्यक्रम के जरिए आपके बीच आ रहे हैं। आज हम पहुंचे हैं मध्यप्रदेश के देवतालाब विधानसभा सीट पर…
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Chunavi Chaupal in Devtalab रीवा जिले के इस ब्राह्मण बाहुल्य इस इलाके में करीब 2 लाख वोटर हैं। इसके अलावा क्षेत्र में ओबीसी और अनुसूचित जाति भी बड़ी संख्या में रहती है। वैसे तो यह बीजेपी की परंपरागत सीट रही है लेकिन बसपा और कांग्रेस जैसी पार्टी भी यहां जनाधार रखती हैं।
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मध्यप्रदेश के हाईप्रोफाइल सीटों में शामिल देवतालाब विधानसभा सीट की राजनीति की बात करें तो इसे भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां से मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम चुनाव लड़ते हैं। साल 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के गिरीश गौतम और कांग्रेस के विद्यावती पटेल के बीच मुकाबला था। यहां बीजेपी प्रत्याशी गिरीश गौतम 45043 मतों के साथ जीतने में कामयाब हुए। दूसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी की सीमा सेंगर रहीं। उन्हें 43963 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस की विद्यावती पटेल तीसरे स्थान पर रहीं। उन्हें 30383 वोट हासिल हुए।
साल 2013 के चुनाव में भी स्थिति 2008 जैसी ही थी, क्योंकि तब भी यहां बीजेपी के गिरीश गौतम और बीएसपी के विद्यावती पटेल के बीच मुकाबला था लेकिन नतीजों में बीजेपी को 3885 वोटों से जीत मिली थी। कांग्रेस करीब 30 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी थी और सपा ने भी इस सीट से चुनाव लड़ा था। 2008 में बीजेपी के गिरीश गौतम ने बीएसपी के विद्यावती को 3764 वोटों से शिकस्त दी थी। इस चुनाव में कांग्रेस पांचवें स्थान पर रही और उसे निर्दलीय प्रत्याशी से भी कम करीब 8 फीसदी वोट ही हासिल हुए थे।
मध्यप्रदेश के दूसरे विधानसभा की तरह ही देवतालाब में मुद्दों की कमी नहीं है। विधानसभा के अलग-अलग इलाकों में जनता आज भी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रही है। एक युवा मतदाता ने कहा कि यहां पेयजल की समस्या है। पानी की टंकियां बनी तो है लेकिन पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसके अलावा आवारा पशुओं ने किसानों के नाक में दम कर रखा है। किसान के फसल नहीं बच पा रहे हैं।
एक वरिष्ठ मतदाता ने वादों को लेकर कहा कि यहां वादा तो पूरे नहीं हुए है। इसके उलट में समस्याएं और बढ़ गई है। लाख दावों के बाद भी शिक्षा का स्तर नहीं सुधर रहा है। जनता अनेक समस्याओं से जूझ रही है। अलग-अलग मतदाताओं ने अलग-अलग तरह की समस्याओं को गिनाया। कुल मिलाकर कहे तो यहां मुद्दों की कमी नहीं है। अब देखने वाली बात ये होगी कि आखिर विधानसभा चुनाव में जनता किसके साथ होगी।