अहमदाबाद (गुजरात), नौ नवंबर (भाषा) गुजरात विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस को लगातार दूसरे दिन झटका देते हुए उसके वरिष्ठ विधायक भगवान बराड़ ने बुधवार को विधायक पद तथा प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए।
गिर सोमनाथ जिले में तलाला सीट से 2017 में जीत दर्ज करने वाले बराड़ (63) ने कांग्रेस की गुजरात इकाई के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर को अपना इस्तीफा पत्र भेजा तथा अध्यक्ष नीमाबेन आचार्य को भी इस्तीफा सौंपा।
इससे एक दिन पहले कांग्रेस के 10 बार के विधायक तथा आदिवासी नेता मोहनसिंह राठवा ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था तथा भाजपा में शामिल हो गए थे।
भगा बराड़ के नाम से पहचाने जाने वाले बराड़ का अहमदाबाद में भाजपा के प्रदेश महासचिव प्रदीपसिंह वाघेला ने पार्टी में शामिल होने पर स्वागत किया।
बराड़ ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अपने कम से कम 4,000 समर्थकों से विचार-विमर्श करने के बाद पार्टी छोड़ने का फैसला किया और अगर भाजपा चाहेगी तो वह अगले महीने होने वाला चुनाव लड़ेंगे लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि वह चुनावी टिकट पाने की बिना किसी पूर्व शर्त के भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव में दो चरणों में एक तथा पांच दिसंबर को मतदान होगा। मतगणना आठ दिसंबर को होगी।
बराड़ ने कहा, ‘‘मैं भाजपा में शामिल हो रहा हूं क्योंकि मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास अभियान का हिस्सा बनना चाहता हूं। मैं बिना किसी पूर्व शर्त या वादे के पार्टी में शामिल हो रहा हूं। अगर पार्टी चाहेगी तो मैं चुनाव लडूंगा। अगर मुझे कहा गया तो मैं अन्य उम्मीदवारों के लिए प्रचार करूंगा। मैं गिर सोमनाथ तथा जूनागढ़ जिलों में नौ सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करूंगा।’’
बराड़ अहीर समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं। वह 2007 और 2017 में तलाला सीट से जीते थे। उनके भाई जशुभाई भी 1998 और 2012 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं।
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गिर सोमनाथ जिले में चार विधानसभा क्षेत्र में से एक तलाला है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इस जिले में अपना खाता तक नहीं खोल पायी थी जबकि कांग्रेस ने सभी चार सीटों पर कब्जा जमाया था।
बराड़ को 2019 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने विधायक पद से अयोग्य करार दिया था। एक स्थानीय अदालत ने उन्हें दो दशक पुराने अवैध खनन मामले में दो साल तथा नौ महीने की जेल की सजा सुनायी थी।
महीनों बाद बराड़ के निलंबन को वापस ले लिया गया था क्योंकि गुजरात उच्च न्यायालय ने उनकी अपील का निपटारा होने तक उनकी सजा पर रोक लगा दी थी।