दीपांकर ने मणिपुर के जातीय संघर्ष की तुलना 2002 के गुजरात दंगों से की

दीपांकर ने मणिपुर के जातीय संघर्ष की तुलना 2002 के गुजरात दंगों से की

दीपांकर ने मणिपुर के जातीय संघर्ष की तुलना 2002 के गुजरात दंगों से की
Modified Date: July 25, 2023 / 11:32 pm IST
Published Date: July 25, 2023 11:32 pm IST

पटना, 25 जुलाई (भाषा) भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने मंगलवार को मणिपुर के जातीय संघर्ष की तुलना गुजरात के सांप्रदायिक दंगों से की । तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

भट्टाचार्य ने यहां मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि पूर्वाेत्तर राज्य मणिपुर में ‘जातीय सफाए की राजनीति’ आगामी चुनावों में ‘एक प्रमुख मुद्दा’ बन जाएगी, जैसे 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान 2002 के दंगे चर्चा में रहे थे।

भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, ‘वर्तमान में भाजपा शासित मणिपुर में जो हो रहा है और 2002 में गुजरात में जो हुआ, उसके बीच हम बहुत सारी समानताएं देखते हैं। ऐसा लगता है कि मणिपुर की सरकार मोदी का अनुसरण कर रही है।’

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उन्होंने हाल ही में वायरल हुए चार मई के वीडियो क्लिप का जिक्र करते हुए कहा, ‘तब और अब की स्थिति के बीच एक अंतर यह है कि इन दिनों, सोशल मीडिया के प्रसार के साथ, हमें कई चीजें पता चलती हैं, जिन्हें सरकारें दबाना चाहती हैं। इसका एक उदाहरण दो महिलाओं पर हुए अत्याचार का है।’

भट्टाचार्य ने कहा, ‘मणिपुर में बलात्कार पीड़ितों में से एक की शादी कारगिल में लड़ने वाले एक सैनिक से हुई थी। दूसरी बूढ़ी महिला, जिसे जिंदा दफनाया गया था, एक स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी थी। यह भाजपा की देशभक्ति का दावा करने के लिए बहुत कुछ है।’

उन्होंने कहा, ‘मणिपुर भीड़ हिंसा की राजनीति का एक जीता जागता उदाहरण है जिसे भाजपा ने देश भर में बढ़ावा दिया है। यह गौरक्षकों द्वारा की गई हत्याओं में भी परिलक्षित होता है।’

उन्होंने राज्यसभा से आप सांसद संजय सिंह के निलंबन की भी निंदा की और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की और संसद के अंदर पूरी रात धरना देने वाले सभी लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘हम भी उस लोकप्रिय भावना के साथ हैं जो मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग करती है। हम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग का भी समर्थन करते हैं।’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘सबसे बढ़कर, हम पूरे प्रकरण पर प्रधानमंत्री की गहरी चुप्पी से स्तब्ध हैं। जब उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने का फैसला किया, तो उन्होंने अन्य राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की ओर ध्यान खींचने की कोशिश की, जो अलग थे, हालांकि कम निंदनीय नहीं थे।’

भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री द्वारा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ और ब्रिटिश उपनिवेशवादियों द्वारा स्थापित ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच समानताएं बताने पर भी हैरानी व्यक्त की।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘प्रधानमंत्री को पता होना चाहिए कि इंडिया दैट इज भारत संविधान के पहले अनुच्छेद का प्रारंभिक वाक्यांश है। हालांकि भाजपा के मन में हमेशा संविधान के प्रति बहुत कम सम्मान रहा है। ‘

भाकपा माले नेता ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बिहार में प्रशासन शिक्षकों की नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों और आशा कार्यकर्ताओं के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के प्रति अधिक संवेदनशील होगा। भाकपा माले बिहार में नीतीश कुमार सरकार को बाहर से समर्थन देती है।

भाषा अनवर राजकुमार


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