पारस ने राजनीतिक जीवन का ज्यादातर समय भाई रामविलास पासवान की छत्रछाया में बिताया

पारस ने राजनीतिक जीवन का ज्यादातर समय भाई रामविलास पासवान की छत्रछाया में बिताया

Modified Date: July 7, 2021 / 08:46 pm IST
Published Date: July 7, 2021 8:46 pm IST

पटना, सात जुलाई (भाषा) राजनीति में लगभग चार दशकों का अनुभव रखने वाले पशुपति कुमार पारस ने अपने राजनीतिक जीवन का अधिकांश समय अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान की छत्रछाया में बिताया है।

पारस को बुधवार को केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। पारस हाल ही में अपने भतीजे चिराग पासवान के साथ चली खींचतान को लेकर भी सुर्खियों में थे। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के चार अन्य सांसदों के समर्थन से पारस ने दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र और अपने भतीजे चिराग पासवान के खिलाफ सफल विद्रोह किया था और वह लोकसभा में पार्टी के नेता और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे।

पारस पूर्व में लोजपा की बिहार इकाई का नेतृत्व करते थे और वर्तमान में इसके अलग हुए गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पारस ने 1978 में अपने पैतृक जिले खगड़िया के अलौली विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के विधायक के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। इस सीट का प्रतिनिधित्व पहले पासवान करते थे ।

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इसके बाद वह जनता दल के टिकट पर और बाद में अपने भाई द्वारा बनाई गई पार्टी के टिकट पर कई बार विधायक रहे थे।

वर्ष 2017 में वह नीतीश कुमार नीत सरकार में पशु और मछली संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में नियुक्त किए गए थे। उस समय किसी सदन का सदस्य नहीं होने की स्थिति में उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान पार्षद के रूप में समायोजित किया गया था।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पारस हाजीपुर संसदीय सीट से संसद पहंचे । इस सीट का प्रतिनिधित्व दिवंगत रामविलास पासवान ने दशकों तक किया था । हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार बनाए जाने और उनके विजय होने पर इसे दोनों भाइयों के एक-दूसरे पर विश्वास के तौर पर देखा गया था।

लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अपने भतीजे चिराग की पदोन्नति के बाद पारस ने तुरंत अपना असंतोष प्रकट नहीं किया था।

चिराग पासवान समुदाय के एकमात्र नेता के रूप में पिता रामविलास के स्थान पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगे हुए थे और पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने नीतीश को अस्वीकार्य बताते हुए अपने बलबूते लड़ने का निर्णय लिया था लेकिन पार्टी का इस चुनाव में बहुत ही खराब प्रदर्शन रहा था।

चिराग ने मंगलवार को पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लोजपा कोटे से पारस को शामिल नहीं करने का अनुरोध किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर पारस को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिलती है तो वह अदालत का रुख करेंगे।

भाषा अनवर

देवेंद्र रंजन

रंजन


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