बिहार में ‘टोपो’ भूमि का सर्वेक्षण जारी है: राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री |

बिहार में ‘टोपो’ भूमि का सर्वेक्षण जारी है: राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री

बिहार में ‘टोपो’ भूमि का सर्वेक्षण जारी है: राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री

:   Modified Date:  March 19, 2023 / 06:50 PM IST, Published Date : March 19, 2023/6:50 pm IST

(प्रमोद कुमार)

पटना, 19 मार्च (भाषा) बिहार में ‘टोपो’ भूमि का सर्वेक्षण किया जा रहा है और यह कवायद राज्य में भूमि रिकॉर्ड को अद्यतन करने के लिए चल रहे विशेष अध्ययन का एक हिस्सा है।

बिहार में जिस भूमि का अबतक सर्वेक्षण नहीं हो सका है उसे ‘‘टोपो’’ भूमि कहा जाता है और इस तरह की भूमि ज्यादातर गंगा और कोशी जैसी नदियों के किनारे स्थित हैं।

बिहार के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पूरे राज्य में जारी विशेष सर्वेक्षण और सभी भूमि के बंदोबस्त के काम में तेजी लाने और दिसंबर 2024 तक काम पूरा करने के निर्देश अधिकारियों को जारी किए गए हैं। राज्य में टोपो भूमि का भी सर्वेक्षण किया जा रहा है। कुछ जिलों में यह कवायद पूरी होने की कगार पर है।’’

मंत्री ने कहा कि जब कवायद पूरी हो जाएगी तो निश्चित रूप से राज्य में भूमि विवाद के मामलों में कमी आएगी। साथ ही सरकार भी टोपो भूमि के बारे में निर्णय लेने की स्थिति में होगी।

उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसी अफवाह फैलायी गयी थी कि राज्य में टोपो भूमि का सर्वेक्षण चल रही कवायद का हिस्सा नहीं है। एक अनुमान के अनुसार बिहार में सर्वेक्षण रहित भूमि का अनुपात इसके क्षेत्रफल का लगभग 20 प्रतिशत है।

बिहार में भूमि सर्वेक्षण 1905 और 1915 के बीच अंग्रेजों द्वारा किया गया था और बाद में नदी की धारा में परिवर्तन के कारण मिलने वाली भूमि को छोड़ दिया गया था। वर्ष 1959 में बिहार सरकार ने एक और भूमि सर्वेक्षण कराने का फैसला किया था लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका।

मंत्री ने आगे कहा, ‘‘मौजूदा कानून के अनुसार राज्य में सभी गैर-सर्वेक्षित भूमि सरकार की है। कोई भी व्यक्ति बिना सर्वेक्षण वाली भूमि पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता है। लेकिन हम जल्द ही इस संबंध में एक नीति की घोषणा करेंगे।’’

माकपा विधायक अजय कुमार ने कहा, ‘‘यह अच्छा है कि टोपो भूमि का सर्वेक्षण चल रहा है। सरकार टोपो भूमि के सर्वेक्षण सहित चल रहे विशेष सर्वेक्षण के पूरा होने का इंतजार क्यों कर रही है। प्रदेश के खगड़िया, लखीसराय, सारण, समस्तीपुर सहित अन्य जिलों में पिछले कई दशकों से टोपो भूमि पर रह रहे या खेती कर रहे किसानों और गरीबों को सरकार मालिकाना हक दे।’’

उन्होंने दावा किया कि ‘बिहार काश्तकारी कानून’ के अनुसार बिना सर्वेक्षण वाली भूमि पर रहने वाले और 12 साल से अधिक समय तक सरकार को कर चुकाने वाले उक्त भूमि पर स्वामित्व प्राप्त करने के हकदार हैं।

टोपो जमीन का मुद्दा बिहार विधानसभा में कई बार उठाने वाले पालीगंज विधानसभा सीट से भाकपा-माले विधायक संदीप सौरव ने कहा, ‘‘संबंधित विभाग हमें राज्य में टोपो जमीन के सर्वेक्षण के बारे में पिछले कई सालों से आश्वासन देता रहा है। लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो रहा है। सरकार को इस प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए या पिछले कई दशकों से राज्य में टोपो भूमि पर रहने वाले आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को ऐसी भूमि पर स्वामित्व का अधिकार देने के लिए अन्य तरीकों का पता लगाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार को इस संबंध में पहल करनी चाहिए।

भाषा दिलीप संतोष

संतोष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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