Hindi बोलने पर 'थप्पड़', Prakash Raj की फिल्म Jai Bhim पर बवाल |

Hindi बोलने पर ‘थप्पड़’, Prakash Raj की फिल्म Jai Bhim पर बवाल

इन दिनों Prakash Raj की फिल्म Jai Bhim के एक डायलॉग को लेकर विवाद शुरू हो गया है और इसके साथ राजनीति भी अब शुरू हो रही है

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:53 AM IST, Published Date : November 6, 2021/9:04 pm IST

Hindi बोलने पर ‘थप्पड़’, Prakash Raj की फिल्म Jai Bhim पर बवाल

आज हम बात करेंगे दक्षिण के राज्यों में एक बार फिर हिन्दी के खिलाफ माहौल बनाने के षडयंत्र की….ये षडयंत्र फिल्म के एक डायलॉग के जरिए सामने आया है जिसका विरोध भी शुरू हो गया है…जाहिर है हिन्दी भाषी राज्यों की पार्टियां इन दिनो साऊथ में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही हैं ऐसे में वहां हिन्दी के खिलाफ माहौल बनाना लोकल राजनीतिक दलों की मजबूरी हो गई है….

हिन्दुस्तान में राजनीति जो न कराए वह कम है…नेता यहां नफरत फैलाने से लेकर झाड़ू लगाने तक सबकुछ कर सकते हैं अगर वोट मिलता हो तो…… आजादी के पहले से ये बीमारी इस देश में फैली हुई है और यही चीजें समाज में अक्सर दिखाई देती हैं…हम ये बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन दिनों Prakash Raj की फिल्म Jai Bhim के एक डायलॉग को लेकर विवाद शुरू हो गया है और इसके साथ राजनीति भी अब शुरू हो रही है….प्रकाश राज एक बहुत ही मंजे हुए कलाकार,निर्माता, टीवी होस्ट हैं। साऊथ इंडियन फिल्मों से आकर हिन्दी फिल्मों में जगह बनाने में प्रकाश राज सफल हुए हैं…

उनसे पहले कमल हासन और रजनीकांत ही थे जो ऐसा कर पाए और हिन्दी दर्शकों के बीच अपनी छाप छोड़ी। अब ये अलग बात है कि हिन्दी बोलकर और हिन्दी दर्शकों की भावनाओं को भुनाकर ये कलाकार आगे बढ़ गए और जब हिन्दी को आगे बढ़ाने की बात आती है तो ये तुरंत पीछे हट जाते हैं….

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ट्विटर के इस दौर में भारतीय दर्शक हों या आम मतदाता अक्सर दो गुटों में बंटे नजर आते हैं एक वो जो सत्ता के खिलाफ लिखता- बोलता है ….दूसरा वर्ग वो जो सत्ता पक्ष के हर कदम का समर्थन करता है….इन्हीं गुटों में से सत्ता विरोधी गुट में प्रकाश राज का नाम गिना जाता है….एक वर्ग के लिए वो अच्छे हैं….. तो दूसरा वर्ग उनकी नीयत पर सवाल उठाता रहता है……हाल ही में एक तमिल फिल्म ‘जय भीम’ रिलीज हुई है…इसमें प्रकाश राज मुख्य किरदार में हैं…. फिल्म में एक्टर प्रकाश राज के थप्पड़ मारने वाले एक दृश्य ने ट्विटर बाजों के बीच हंगामा खड़ा कर दिया है…..

दृश्य ऐसा है कि प्रकाश राज एक हिंदी बोल रहे व्यक्ति को थप्पड़ मारते हुए कहते हैं कि वह हिंदी की जगह तमिल में बात करे…. कहा जा रहा है कि इस फिल्म में प्रकाश राज के किरदार को हिंदी भाषा से सख्त नफरत होती है….बस इसी दृश्य को लेकर हिंदी भाषी दर्शकों के बीच नाराजगी दिखाई दे रही है और ट्विटर वार शुरू हो गया है…. उनके दो वर्ग बन गए हैं… या तो आप हिन्दी प्रेमी हैं या फिर हिन्दी विरोधी….ट्विटर पर फिल्म के इस सीन को लेकर हिंदी के अपमान का आरोप लगाया जा रहा है….

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मजे की बात ये है कि आजकल बीच का कोई मार्ग … किसी भी पक्ष ने नहीं छोड़ा….काफी पहले वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने कहा था कि दुनियां के देश अब या तो अमरीका के साथ हैं या फिर अमरीका के खिलाफ… बीच के लिए उन्होंने जगह नहीं छोड़ी….अब भारतीय जन मानस में भी बीच की कोई जगह नहीं रही है…इसके चलते पत्रकारों की भी मुसीबत हो जाती है….अब पत्रकारों को पक्ष या विपक्ष का माना जाने लगा है जबकि पत्रकार मुद्दों के आधार पर कभी पक्ष के साथ हो सकता है और कभी विपक्ष के साथ…. खैर बात ये है कि अब अगर आप प्रकाश राज के साथ हैं तो हिन्दी विरोधी और उनके खिलाफ हैं तो समर्थक…. वैसे प्रकाश राज ने एक इंटरव्यू में यह स्वीकार किया है कि वे हिन्दी को साऊथ इंडियन्स पर थोपने का विरोध करते हैं….

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फिल्म के डायलॉग का समर्थन करने वाले कह रहे हैं कि उस सीन में थप्पड़ खाने वाला कैरेक्टर हिंदी में बोलकर पुलिस से बच निकलने की कोशिश करता है… फिल्म के दूसरे कैरेक्टर प्रकाश राज को उसकी चाल समझ आ जाती है और वह उसकी रणनीति को जानने के बाद, उसे थप्पड़ मारते हैं और तमिल में बोलने के लिए कहते हैं….. तमिल फिल्म निमार्ता हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं हैं… दूसरी तरफ लोग फिल्म से इस सीन को हटाने की मांग भी कर रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि इस सीन को फिल्म में डालने की जरूरत ही नहीं थी। ये जानबूझकर डाली गई है ताकि हिन्दी के खिलाफ साऊथ इंडियन सेंटीमेंट को जारी रखा जा सकें….

वैसे पहली नजर में ऐसा लगता है कि यह डायलॉग सीन की डिमांड है पर हकीकत में ऐसा नहीं लगता है…निर्देशक चाहते तो इसे हटा सकते थे इसकी कोई जरूरत नहीं थी……पर यह डायलाग जानबूझकर रखा गया है…. ऐसा लगता है कि इस सीन के पीछे साऊथ की राजनीति काम कर रही है… आपको ध्यान होगा कि इन दिनों हिन्दी भाषी क्षेत्र की मानी जाने वाली….. भारतीय जनता पार्टी….. साऊथ में अपने पैर पसार रही है….केरल से लेकर कर्नाटक और तेलंगाना से लेकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश तक वह पैर जमाने की कोशिश कर रही है….

केंद्रशासित प्रदेश पुड्डुचेरी और कर्नाटक में बीजेपी के पास कुछ सियासी आधार है …वहां फिलहाल बीजेपी सरकार में है…. हैदराबाद में स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है….जब हिन्दी भाषी पार्टी यहां तक आ गई है तो दक्षिण के बचे हिस्सों में भी उसको पहुंचने से रोकना आसान नहीं होगा… हिन्दी राज्यों वाली पार्टी कहलाने वाली कांग्रेस भी आजकल साऊथ में एक बार फिर पैर जमाने की कोशिश कर रही है… आप जानते ही हैं राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद बने हैं…

लगता है कि कांग्रेस – बीजेपी के इसी प्रयास के कारण साऊथ में हिन्दी विरोधी माहौल बनाने की कोशिश एक बार फिर की जा रही है….एक समय था जब साऊथ के नेता उनको गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों की अंग्रेजी बोलने को तैयार थे पर हिन्दी से दूर ही रहना चाहते थे… जानते थे हिन्दी भाषी राजनीतिक दलों को एंट्री मिली तो राज्य में उनकी मोनोपल्ली नहीं चलेगी …उनका परिवारवाद भी साफ हो जाएगा… अब ये अलग बात है कि कभी कांग्रेस ने इस तरह की राजनीति का विरोध नहीं किया था…

खैर फिल्म में एक डायलॉग के जरिए हिन्दी के प्रति एक बार फिर नफरत को उभारने की कोशिश की गई है….और जो लोग इसको मासूम गलती समझ रहे हैं उनको ध्यान देना चाहिए कि… जय भीम फिल्म…. तेलगू में भी रिलीज हुई है और उसमें यह डायलॉग तेलगू में बात करने कहता है… और जब यह तमिल भाषा में चलती है तो तमिल बोलने कहा जाता है….यानी दोनों ही राज्यों की जनता को हिन्दी का विरोध दिखेगा…. अब प्रकाश राज अच्छे एक्टर तो हैं ही पर उनका राजनीतिक रूझान भी अक्सर दिखता ही है…यह डायलॉग उनकी रूझान को शूट करता है…. यही वजह है कि प्रकाश राज भी कुछ ट्विटर यूजर के निशाने पर हैं….

आपको याद होगा कि 2019 में हिन्दी दिवस पर वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किए गए एक ट्वीट के बाद तमिलनाडु में हिन्दी भाषा के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने का प्रयास हुआ था…. हिन्दी में लिखे साइन बोर्ड पर कालिख भी पोती गई थी। अमित शाह ने एक देश, एक भाषा की बात की थी…. तब फिल्म अभिनेता रजनीकान्त ने यहां तक कह दिया था कि दक्षिण भारत में हिन्दी को कोई नहीं अपनाएगा….।

अब ये अलग बात है कि रजनीकांत को हिन्दी भाषी लोग अपनाते हैं और दादा साहेब फाल्के जैसा बड़ा पुरस्कार भी इसी कारण मिलता है…. आज देश जानता है कि साऊथ में कैसे परिस्थितियां बदल रही हैं…लाखों युवाओं को देश के बाकी हिस्से से काटकर रखने के कारण उनको दूसरे राज्यों में जाकर रोजगार करने का मौका ही नहीं मिला…वे पिछड़ते ही रह गए….अब सोशल मीडिया के युग में साऊथ के युवा समझ रहे हैं कि उनको आगे बढ़ना है तो साऊथ से निकलकर भारत के बाकी हिस्सों में जाना ही होगा और इसके लिए उनको हिन्दी का साथ जरूरी है…

साऊथ में आज हिन्दी सीखने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है…राजनीति इसको हिन्दी को थोपना समझती है…..बहरहाल राजनीति करने वाले राजनीति करते रहेंगे और डायलॉग आते जाते रहेंगे…उम्मीद है साऊथ की जनता देश के 80 फीसदी हिस्सें में बोली जाने वाली हिन्दी को अपनाने के लिए आगे बढ़ेगी और राजनीति करने वालों के मंसूबों को नाकाम करेगी….