बतंगड़ः विधानसभा चुनाव नतीजों ने दी मोदी के हैट्रिक की गारंटी

बतंगड़ः विधानसभा चुनाव नतीजों ने दी मोदी के हैट्रिक की गारंटी

BATANGAD IBC24 SOURABH TIWARI

Modified Date: December 4, 2023 / 03:46 pm IST
Published Date: December 4, 2023 3:34 pm IST

 

बोर्ड एग्जाम से पहले होने वाले प्री बोर्ड एग्जाम को तैयारियों को परखने का जरिया माना जाता है। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के बोर्ड एग्जाम से पहले प्री बोर्ड एग्जाम की तरह ही थे। नतीजे बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भाजपा ने प्री बोर्ड एग्जाम को डिस्टिंक्शन के साथ पास किया है। प्री बोर्ड एग्जाम में मिली ऐतिहासिक कामयाबी से अर्जित आत्मविश्सास के बाद अब भाजपा बोर्ड एग्जाम को भी बेहतर अंकों के साथ पास करने के लिए तैयार है।

ये जीत मुमकिन हुई है भाजपा के सबसे बड़े परफारमर नरेंद्र मोदी की बदौलत। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनाव को भाजपा ने नरेंद्र मोदी का चेहरा सामने रखकर लड़ा था। और ये साबित हो चुका कि मोदी की गारंटी कांग्रेस की गारंटी पर भारी पड़ गई। चुनावी जीत के बाद पार्टी मुख्यालय में हुए अभिनंदन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने तो कह भी दिया कि जहां दूसरों से उम्मीद खत्म होती है वहां से मोदी की गारंटी शुरू होती है।

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विधानसभा चुनाव के नतीजों ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की स्क्रिप्ट लिख दी है। चार राज्यों में से तीन पर भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है और चौथे राज्य तेलंगाना में भी उसने अपना वोट शेयर दोगुना करते हुए सीटों की संख्या 1 से सीधे 8 पहुंचा दी है। इस जीत के बाद अब देश के 16 राज्यों की करीब 52 फीसदी आबादी भगवा रंग में रंग चुकी है। इन 16 राज्यों में से उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, हरियाणा, मणिपुर और त्रिपुरा में भाजपा की सरकार है जबकि महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड और सिक्किम में वो गठबंधन के साथ सरकार में है। वहीं अब कांग्रेस के कब्ज में केवल तीन राज्य तेलंगाना, हिमाचल और कर्नाटक ही बचे हैं। इसके अलावा वो झारखंड, बिहार और तमिलनाडू में सहयोगी के तौर पर सरकार में शामिल है, लेकिन उसकी स्थिति दोयम दर्जे की है।

भाजपा का ये भौगोलिक और बहुमतीय विस्तार ही विपक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। मोदी को तीसरी बार आने से रोकने के लिए तमाम दलों ने I.N.D.I.A. नाम का गठबंधन बना तो लिया है, लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि मोदी को रोक पाना इस गठबंधन के बूते की बात नहीं है। तीन राज्यों में मिली तूफानी जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ही खुद कह दिया है कि इस हैट्रिक ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी हैट्रिक की गारंटी दे दी है। ये कोई पहला मौका नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी अपनी तीसरी पारी के प्रति इतने कॉन्फिडेंड दिखे हैं। इससे पहले भी वो कई मौकों पर अपनी तीसरे कार्यकाल का दावा जता चुके हैं। उनका ये दावा उनका घमंड नहीं बल्कि रणनीतिक आत्मविश्वास है।

ये आत्मविश्वास आया है जनता की नब्ज समझने के उनके नैसर्गिक सियासी गुण के चलते। प्रधानमंत्री मोदी की बाकी दूसरी खासियतों में से एक बड़ी खासियत ये है कि वो विपक्षी दांव की काट निकालने में माहिर हैं। अगर हालिया विधानसभा चुनाव की ही बात करें तो उन्होंने इस चुनाव को भी अपनी इसी खासियत के जरिए अपने पक्ष में किया है। काट की प्रतिकाट ढूंढने में उनका कोई सानी नहीं है। जो फ्री बीज कांग्रेस के लिए जीत की गारंटी बन सकता था मोदी ने उसी फ्री बीज के जरिए कांग्रेस के सबसे बड़े हथियार को फ्रीज कर दिया। लोगों को कांग्रेस की बजाए भाजपा की रेवड़ी ज्यादा पसंद आई, और भाजपा की नैया पार लग गई। कांग्रेस जिस जाति जनगणना का शोर मचाकर भाजपा को घेरने का मुगालता पाले बैठी थी, उसे मोदी ने समाज को अपने नजरिये से परिभाषित और वर्गीकृत करके कांग्रेस के जातीय विखंडन के मंसूबे को नेस्तनाबूद कर दिया। मोदी ने युवा, महिला, आदिवासी और किसान के तौर पर चार जातियों का निर्धारण करके चुनावी व्यूह रचना की और इन जातियों ने भाजपा को प्रचंड बहुमत के साथ तीन राज्यों में सत्तारूढ़ करा दिया।

प्रधानमंत्री मोदी की इस रणनीतिक मोर्चाबंदी की काट ढूंढ पाना इंडी एलांयस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस मोदी विरोधी एलायंस की 6 दिसंबर को चौथी बैठक होने जा रही है। लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि इस बैठक में अगले रोडमैप पर चर्चा होने की बजाए हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस , समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच हुई भिड़ंत का अगला राउंड खेला जाएगा। विधानसभा चुनाव के दौरान गठबंधन दलों के बीच जैसा मनमुटाव दिखा, उससे साफ जाहिर है कि आगे अभी सर फुटव्वल होना बाकी है। कांग्रेस को तीन राज्यों में मिली करारी हार ने उसकी वो वारगेनिंग पावर छीन ली है, जो उसने हिमाचल और कर्नाटक चुनाव के बाद हासिल की थी। कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीत के प्रति इस कदर मुगालता पाले बैठी थी कि वो इंडी एलायंक सहयोगियों को कोई भाव ही नहीं दे रही थी। मध्यप्रदेश में सीट शेयरिंग की सौदेबाजी में कांग्रेस की ओर से बरते गए अपमानजनक रवैये से खार खाकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तो कांग्रेस को उत्तरप्रदेश में देख लेने की धमकी पहले ही दे रखी है।

विधानसभा चुनाव के दौरान इंडी एलायंस के घटक दलों के बीच चली तीखी तकरार और कांग्रेस की हार के बाद उसकी सौदेबाजी की ताकत में आई कमी से एक बाद तो साफ है कि अब लोकसभा चुनाव के दौरान घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं रहने वाला। ये गठबंधन इस चुनावी गणित को सामने रखकर बनाया गया है कि अगर भाजपा के खिलाफ विपक्ष अपना एकीकृत उम्मीदवार खड़ा करे तो विरोधी वोटों के बंटवारे को रोककर भाजपा को हराया जा सकता है। सतही तौर पर देखने पर विपक्ष की रणनीति कारगर दिखती है, लेकिन तथ्यों के आधार पर परखें तो ऐसा करने के बाद भी मोदी को रोक पाना आसान नहीं होगा। पिछले चुनाव की ही बात करें तो जिन 436 निर्वाचन क्षेत्रों में वह मैदान में थी, उनमें से आधे से अधिक यानी 224 में भाजपा ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर हासिल किया था। यानी अगर इस सीटों पर गैर-भाजपा उम्मीदवारों, निर्दलीय उम्मीदवारों और नोटा के सभी वोटों को एक साथ जोड़ भी दिया जाए तब भी भाजपा को पछाड़ पाना मुश्किल है। ये 224 सीटें बहुमत के मैजिक फिगर से केवल 48 ही कम है।

नरेंद्र मोदी का अपनी हैट्रिक के प्रति गारंटी देना हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों से सामने आए आंकड़ों के लिहाज से भी मुमकिन नजर आ रहा है। देखा गया है कि भाजपा जिन विधानसभा चुनाव को हारती है, उसके बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में वो उन्हीं राज्यों की सीट को मोदी के चेहरे की बदौलत जीत जाती है। पिछले दो चुनावों के आंकड़ें देखें तो विधानसभा चुनाव के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा करीब 12 से 15 फीसदी ज्यादा वोट हासिल कर लेती है। इस बार तो भाजपा ने हालिया हुए चारों विधानसभा चुनाव में जबरदस्त वोट शेयर के साथ जीत हासिल की है। अब ऐसे में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि चार महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी की ये लहर कैसी कहर ढाएगी।

– लेखक IBC24 में डिप्टी एडिटर हैं

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लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown