IBC Open Window: 2018 के चुनाव में हारे भाजपा प्रत्याशियों के टिकटों पर तलवार!

IBC Open Window: 2018 में भाजपा के हारे 75 प्रत्याशियों में से कितनों की टिकट होगी रिपीट, कितने होंगे बाहर, पढ़िए कारण और विश्लेषण

टिकट कटौती का सबसे बड़ा आधार 2018 की भाजपा विरोध की आंधी में हारे प्रत्याशियों का हार का अंतराल हो सकता है। इस अंतराल का बारीकी से विश्लेषण जरूरी है। भाजपा में ऐसे लोगों की संख्या बहुत है जो भारी मतों से हारे हैं, जबकि ऐसे लोग उंगली पर गिनने लायक हैं जिनकी हार का अंतराल नाममात्र का है

IBC Open Window: 2018 में भाजपा के हारे 75 प्रत्याशियों में से कितनों की टिकट होगी रिपीट, कितने होंगे बाहर, पढ़िए कारण और विश्लेषण

bjp chhattisgarh news

Modified Date: November 29, 2022 / 07:50 pm IST
Published Date: August 23, 2022 2:32 pm IST

Barun Sakhajee

Barun Sakhajee,
Asso. Executive Editor

बरुण सखाजी, (सह-कार्यकारी संपादक)

छत्तीसगढ़ भाजपा में हो रहे बदलाव के बीच मीडिया में कई चर्चाएं चल निकली हैं। एक बड़ा धड़ा इस विश्लेषण पर चल निकला है कि इनमें से ज्यादातर को टिकट नहीं मिलेगा, जबकि कम ही ऐसे लोग हैं, जिन्हें दोहराया जा सकता है। लेकिन इस नतीजे पर पहुंचने से पहले हमें 2018 के नतीजों पर जरूर गौर करना चाहिए। इन चुनावों में लड़े और हारे उन 75 लोगों में कितने टिकट दें, कितने काटें यह तय कैसे करेंगे और जब तय करेंगे तो वह कितना युक्तियुक्त होगा। आइए समझते हैं।

 

टिकट कटने के आधार क्या होते हैं?

सबसे पहले हम यह जानते हैं कि किसी भी उम्मीदवार की टिकट किन पैमानों पर काटी जाती है। तो हम कह सकते हैं कि प्रत्याशी लोगों के बीच में कम जाता हो, बड़े अंतराल से हारा हो, लोगों के बीच छवि अच्छी न हो, विपक्ष की तरफ से कोई बहुत भारी प्रत्याशी मैदान में हो, वहां का संगठन प्रत्याशी को समर्थन न कर रहा हो आदि-आदि। इतने सारे मापदंडों को परखें तो छत्तीसगढ़ भाजपा में एक मुकम्मल सर्वे की जरूरत होगी। क्या भाजपा अंदरूनी सर्वे या फीडबैक पर काम कर रही है?

सब हारे भारी अंतराल से, कम हारे कम अंतर से

टिकट कटौती का सबसे बड़ा आधार 2018 की भाजपा विरोध की आंधी में हारे प्रत्याशियों का हार का अंतराल हो सकता है। इस अंतराल का बारीकी से विश्लेषण जरूरी है। भाजपा में ऐसे लोगों की संख्या बहुत है जो भारी मतों से हारे हैं, जबकि ऐसे लोग उंगली पर गिनने लायक हैं जिनकी हार का अंतराल नाममात्र का है। 2018 में भाजपा को 33 फीसद वोट मिले थे, जो 2013 में भाजपा को मिले मतों से करीब 8 फीसद कम हैं। जबकि कांग्रेस को 43 फीसद मत मिले थे, जो कांग्रेस को 2013 में मिले मतों से लगभग 2 फीसद ही ज्यादा हैं। यानी भाजपा ने 8 फीसदी वोट खोए, लेकिन इनमें से सिर्फ 2 फीसद ही कांग्रेस में शिफ्ट हुए, बाकी 6 फीसद तीसरी शक्तियों के खाते में चले गए। 2018 में जोगी की पार्टी ने साढ़े 7 फीसद मत लेकर सबको चौका दिया था। जबकि बसपा ने भी साढ़े 3 फीसद मत हासिल किए। इनका चुनाव में गठबंधन था तो यह मत लगभग 11 फीसद इस तीसरी ताकत को चला गया। 2013 में कांग्रेस और भाजपा के मतों में सिर्फ 0.45 फीसद मतों का अंतर था। जबकि सीटों में एक दर्जन से अधिक का फर्क था। इसका अर्थ यह हुआ कि कांग्रेस ने जो सवा 2 फीसद 2018 में हासिल किए वह भाजपा से काटे और तीसरी ताकत ने जो 11 फीसद हासिल किए वह भी भाजपा से ही गए। मतलब साफ है 8 फीसद वोट का अंतर भाजपा की इस बड़ी हार का कारण बना।

अब आइए पहले यह देखते हैं भाजपा में कौन कितने मतों से जीता

भाजपा ने 2018 में जो 15 सीटें जीती थी, इनमें सबसे ज्यादा मत लगभग 26 हजार से बिल्हा जीती थी। जहां त्रिकोण में कांग्रेस के बागी सियाराम कौशिक ने 27 हजार सीधे-सीधे वोट काटकर कांग्रेस के राजेंद्र शुक्ला को महज 57 हजार वोटों पर समेट दिया था। इसके बाद ननकी राम कंवर और विद्यारतन भसीन की 18 हजार से, बृजमोहन अग्रवाल 17 हजार से, डॉ रमन सिंह की 16 हजार से, कृष्णमूर्ति बांधी की 14 हजार से। अजय चंद्राकर 12 हजार से, डमरूधर पुजारी, शिवरतन शर्मा 11 हजार से, रजनेश सिंह 6 हजार से, पुन्नुलाल मोहले 6 हजार से, नारायण चंदेल की 4 हजार से, भीमा मंडावी की 21 सौ से और सौरभ सिंह की 18 सौ से जीत हुई थी। जबकि सबसे कम वोटों से जीतने वाली भाजपा विधायक धमतरी की रंजना दीपेंद्र साहू हैं, जो महज 464 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी गुरमुख सिंह होरा से जीती थी। 

अब यह देखते हैं कौन कितने वोटों से हारा

2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के 90 में से 75 उम्मीदवार हार गए थे। इनमें सबसे बुरा हार कवर्धा से अशोक साहू की हुई, जो सरकार में मंत्री मो. अकबर के हाथों 59 हजार 284 मतों हारे। जबकि सबसे छोटी हार खैरागढ़ से कोमल जंघेल की महज 870 वोटों से जोगी की पार्टी के हाथों स्वर्गीय देवव्रत सिंह से हुई थी। कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर थी। लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की है।

भाजपा के हारे प्रत्याशियों की संख्या

0 भाजपा में एक हजार से कम अंतर से हारने वाले प्रत्याशी कोमल जंघेल थे।

0 2 हजार वोटों से कम से हारने वाली इकलौती प्रत्याशी कोडांगांव से पूर्व मंत्री लता उसेंडी थी।

0 3 हजार से कम अंतर वालों में नारायणपुर से पूर्व मंत्री केदार कश्यप और भिलाई सिटी से प्रेमप्रकाश पांडे थे।

0 5 हजार से कम अंतर वाले प्रत्याशियों की संख्या 3 थी। इनमें मनेंद्रगढ़ से श्यामविहारी जायसवाल, कुनकुरी से भरत साय, कोटा से कांशीराम साहू शामिल थे।

0 6 हजार मतों से हारने वालों में बैकुंठपुर से इकलौते पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े थे।

0 7 हजार तक से हारने वालों में कोंटा से धनीराम बारसे थे। जबक 8 हजार तक की हार में कोई नहीं था।

0 9 हजार तक से हारने वालों में जशपुर के गोविंदराम भगत थे। वहीं 10 हजार तक से हारने वालों की संख्या जीरों थी।

0 10 से 15 हजार तक के अंतर वालों में रायगढ़ से स्वर्गीय रौशन अग्रवाल, कोरबा से विकास महतो, कटघोरा से लखन लाल देवांगन, बिलासपुर से पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, रायपुर ग्रामीण से नंद कुमार साहू, रायपुर पश्चिम से पूर्व मंत्री राजेश मूणत, अंतागढ़ से पूर्व मंत्री विक्रम उसेंडी शामिल थे।

0 15 से 20 हजार के अंतर से हारने वालों में चित्रकोट से लच्छूराम, केशकाल से हरिशंकर नेताम, कांकेर से हीरा मरकाम, डोंगरगांव से मधुसूदन यादव, रायपुर उत्तर से श्रीचंद सुंदरानी, धरसींवा से देवीजी भाई पटेल, खरसिया से पूर्व आईएएस ओपी चौधरी, भटगांव से रजनी त्रिपाठी, प्रेम नगर से विजय प्रताप सिंह, भरपुर से पूर्व मंत्री चंपादेवी पावले थी।

0 20 से 25 हजार से हारने वालों में सामरी से सिद्धनाथ पैकरा, लुंड्रा से विजयनाथ सिंह, लैलुंगा से सत्यानंद राठिया, जैजैपुर से कैलाश साहू, महासमुंद से पूनम चंद्राकर, अभनपुर से पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू, दुर्ग सिटी से चंद्रिका चंद्राकर, मोहला मानपुर से कंचन माला भूआर्या,बीजापुर से पूर्व मंत्री महेश गागड़ा थे।

0 25 से 30 हजार के अंतर वालों में जगदलपुर से संतोष बाफना, भानुप्रतापपुर से देवलाल दुग्गा, खुज्जी से हीरेंद्र साहू, बमेतरा से अवधेश चंदेल, दुर्ग ग्रामीण से जागेश्वर साहू, पाटन से मोतीलाल साहू, संजारी बालोद से पवन साहू, आरंग से संजय ढीढी, लोरमी से तोखन साहू थे।

0 30 से 25 हजार वोटों से हारने वालों में रामानुजगंज से रामकिशुन सिंह, सक्ती से मोहन साहू, डोंडीलोहारा से लाल महेंद्र सिंह टेकाम, अहिवारा से राजमहंत सांवला राम देहरे, साजा से लाभचंद बाफना, नवागढ़ से पूर्व मंत्री दयालदास बघेल, बस्तर से डॉ. सुभाऊ कश्यप थे।

0 बड़ी हारों में 35 से 40 के बीच की हार शामिल थी। इनमें डोंगरगढ़ से सरोजनी बंजारे, पंडरिया से मोतीराम चंद्रवंशी, पत्थलगांव से शिवशंकर पैकरा, सीतापुर से गोपाल राम और अंबिकापुर से अनुराग सिंहदेव शामिल हैं।

0 40 से 45 हजार की हार वालों में प्रतापपुर से पूर्व मंत्री रामसेवक पैकरा, धरमजयगढ़ से लीनव बिरजू राठिया हैं।

0 45 से 50 हजार के अंतर से हारने वालों में सिहावा की पिंकी शिवराज शाह, कसडोल से पूर्व स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल, मरवाही से अर्चना पोर्ते हैं।

0 50 से 55 हजार के अंतर से हारने वालों में सारंगगढ़ से केरा बाई मनहर और सरायपाली से श्याम तांडी हैं।

0 सबसे बड़ी हार वालों में 55 से 60 हजार के अंतर से कवर्धा से अशोक साहू, गुंडरदेही से दीपक ताराचंद साहू, राजिम से संतोष पांडे और खल्लारी से मोनिका दिलीप साहू हैं। 

मार्जिन आधार बना तो ये होंगे दौड़ से बाहर

इस चार्ट को देखने के बाद अगर भाजपा हारने वालों का आधार मार्जिन बनाइएगी तो इनमें से सिर्फ 10 हजार तक के अंतर से हारने वाले सिर्फ 10 टिकट रिपीट होंगे। जबकि इनमें भी कोमल जंघेल खैरागढ़ में उपचुनाव हार चुके हैं। कोटा के कांशीराम साहू लगातार 2 बार हारने वालों में हैं। ऐसे में मनेंद्रगढ़ से श्याम बिहारी जायसवाल, बैकुंठपुर से पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े, भिलाई से प्रेमप्रकाश पांडे या उनके बेटे मनीष पांडे, कुनकुरी से भरत साय, जशपुर के गोविंदराम भगत, कोंटा के धनीराम बारसे भी ताल ठोक सकते हैं। लेकिन कोंडागांव में अब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम जीत चुके हैं तो यहां से लता उसेंडी उस स्तर से फाइट की स्थिति में नहीं हैं। नारायणपुर से केदार कश्यप विकल्पहीनता में टिकट लाने में कामयाब हो सकते हैं। वहीं 30 हजार से ऊपर की हार वाले 23 की टिकट साफतौर पर खतरे में होते हुए भी अंबिकापुर से अनुराग सिंहदेव, कसडोल से गौरीशंकर अग्रवाल, बस्तर के डॉ. सुभाऊ कश्यप, नवागढ़ से दयालदास बघेल ऐसे नेता हैं जिनके क्षेत्र में विकल्प नहीं हैं। 

निष्कर्ष

इस कैल्कुलेशन से देखें तो भाजपा लगभग 23 प्रत्याशियों के 30 हजार से ज्यादा अंतर से हारने के कारण और 18 टिकट्स पर 20 हजार से अधिक वोटों से हारने के कारण टिकट कटौती की तलवार लटका सकती है। यानी 75 में से 39 टिकट काटे जा सकते हैं, जबकि बाकी बचे में से भी 5 टिकट्स ऐसे हैं जिन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है। इनमें बिल्हा से धरमलाल कौशिक, बिलासपुर से अमर अग्रवाल, राजनांदगांव से डॉ. रमन सिंह, रायपुर उत्तर से श्रीचंद सुंदरानी, रायपुर पश्चिम से राजेश मूणत, रायपुर ग्रामीण के नंदकुमार साहू ऐसे लोगों में हैं जिन्हें दूसरी जिम्मेदारियों में लाया जा सकता है।

read more: IBC Open Window: 2018 में भाजपा के हारे 75 प्रत्याशियों में से कितनों की टिकट होगी रिपी

read more: IBC Open Window: प्रदेश भाजपा में हुए बदलाव और इनके असर की प्रायमरी परख भी है 24

read more:  IBC Open Window: ‘आप’ ने यूं ही नहीं किया 2024 में भाजपा से मुकाबले का ऐलान, सहारा

 

लेखक के बारे में

Associate Executive Editor, IBC24 Digital