शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने जहां यह संदेश साफ कर दिया है कि वह सत्ता की नहीं हिंदुत्व की राजनीति करती है। वहीं यह भी साफ है कि इसकी तैयारी बहुत लंबी और गहरी है। वह देश को हिंदुत्व के रास्ते पर ले जाना चाहती है। उद्धव की सेना को चकमा देकर शिदें की ताजपोशी और फिर देवेंद्र फडनवीस का उप मुख्यमंत्री बनाने की बात कहकर पार्टी ने बड़ा दांव खेला है। देवेंद्र फडनवीस पर संघ की पुरानी नजर है। नागपुर से होने के नाते वे संघ की प्राथमिकता में भी हैं। यह कहना कोई जल्दबाजी नहीं होगी कि देवेंद्र फडनवीस की इस तरह की गतिविधियों के जरिए नक्काशी की जा रही है। यह भी अतिश्योक्ति नहीं माना जाना चाहिए कि 2014 के चुनाव के बाद 2025 में मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे। यानी 2024 के बाद वे सितंबर 2025 में पद छोड़ सकते हैं। यह इसिलए, ताकि वे राजनीति में बनाई गई रेखा का पालन करने वाले सिद्ध हो सकें। इनकी जगह देवेंद्र फडनवीस को भी दी जा सकती है। लेकिन देवेंद्र फडनवीस को इसके लिए अचानक तैयार नहीं किया जा सकता था। इसलिए संभवतः उनकी पूरी नर्चरिंग की जा रही है। वर्ष 2015 में मैंने देंवेंद्र फडनवीस से एक मुलाकात में कहा भी था कि आपकी सारी गतिविधियां ऐसी लगती हैं, जैसे संघ की प्रयोगशाला में जो मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में पकाए, बनाए,रचे जा रहे हैं, उनमें आप भी हैं। यह सुनकर फडनवीस ने अस्वागतेय प्रतिक्रिया दी थी। इसका अर्थ था कि वे इस तरह की किसी चर्चा को भी आगे नहीं बढ़ाना चाहते।
फडनवीस पर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए हमलों की बात करें तो यह बात साफ हो जाती है कि वे लंबी योजना के हिस्से हैं। यहां अगर उन्हें एक उपमुख्यमंत्री के रूप में बिठाया जाएगा तो एक तरफ शिंदे की अनुभवहीनता का नुकसान नहीं हो पाएगा तो वहीं सरकार अपने हाथ में भी रहेगी। इसके अलावा पार्टी में फडनवीस की नक्काशी भी इस किस्म से की जा सकेगी कि फडनवीस हिंदुत्व और विकास के लिए समर्पित हैं। वे ईगो वाले कोई ऐसे नेता नहीं। साथ ही उन्हें भी संदेश दिया जा सकेगा जो भारी-भरकम ईगो पालकर पार्टी को नुकसान कर रहे हैं। जैसे कि सतपाल मलिक आदि।
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1 week ago