Naxalites Surrender / Image Source: ScreenGrab
Naxalites Surrender: देश में कल एक नया इतिहास लिखा जाएगा, कल नक्सलियों का अब तक का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण होगा। छत्तीसगढ़ के बस्तर में कल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मौजूदगी में तकरीबन 170 नक्सली सरेंडर करेंगे। कल महाराष्ट्र में सीएम देवेंद्र फडणवीस के सामने भी कुख्यात और 2 करोड़ के ईनामी नक्सली भूपति ने अपने 60 साथियों के साथ सरेंडर किया है।
भले दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री या सरकारें इस अभियान का क्रेडिट ले रही हों..लेकिन नक्सलवाद के खात्मे का श्रेय सिर्फ और सिर्फ अमित शाह को ही मिलना चाहिए। क्योंकि ये अमित शाह का ही साहस था जिसने नक्सलियों को मरने या फिर आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया।
हमने देश में 67 से लेकर अब तक कई सरकारें देखी केंद्र में राज्यों में अलग अगल दलों की सरकारों ने काम किया, 126 जिलों में फैले माओवाद को खत्म करने का सभी ने दावा किया, किसी ने मन से किसी ने बेमन के। लेकिन साल 2024 में उसकी स्क्रिप्टिंग की अमित शाह ने जबरदस्त प्लान बनाया पहले नक्सलियों को जंगलों में दौड़ाया..हर तरफ से घेराबंदी की मारने की जरुरत पड़ी तो मारा।
फिलहाल अब तक यानी जनवरी से अक्टूबर तक 836 माओवादी गिरफ्तार हुए हैं, 1639 माओवादियों ने सरेंडर किया है और 312 माओवादियों को इनकाउंटर में फोर्सेस ने मार दिया है, गिरफ्तार होने, सरेंडर करने और मारे जाने वाले माओवादियों में कई सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो के मेंबर भी हैं।
जाहिर है इस अभियान के बाद देश में माओवाद प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर महज़ 11 जिलों तक सिमट गयी है। इस बीच हमने देखा पुलिस फोर्सेस के बढ़ते प्रेशर के दौरान माओवादियों ने कई बार रहम की अपील की सीजफायर की मांग की, बातचीत से मसले को हल करने का दावा किया। लेकिन इस बार अमित शाह और राज्य सरकारों ने नक्सलियों के सामने खुद को सरेंडर नहीं किया बल्कि ये साफ कर दिया कि माओवादियों और सरकारों के बीच कोई वार्ता नहीं होगी कोई शर्त नहीं मानी जाएगी।
माओवादी संगठन टूट रहे हैं..एक एक कर टॉप कमांडर अपनी टोलियों के साथ सरेंडर कर रहे हैं, कसावट और नीयत यही रही तो तय है कि मार्च 2026 तक देश से माओवाद और माओवादियों का कोई नामलेवा नहीं बचेगा।
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