Former Odisha CM resigns from BJP : पूर्व CM ने बेटे समेत छोड़ी भाजपा, 7 साल पहले कांग्रेस छोड़ थामा था भगवा दल का दामन.
Son Shishir Gamang has said that he has not been able to serve the tribal community while being in BJP for some time. In such a situation, he can now join the national party which has just entered the state.
Former BJP CM said goodbye to Bharatiya Janata Party
Former Odisha CM resigns from BJP : ओड़िसा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग और उनके बेटे शिशिर गमांग ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया हैं। प्रेस कांफ्रेंस करते हुए पूर्व सीएम ने इसका ऐलान किया हैं। उन्होंने अपना और बेटे का इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को प्रेषित कर दिया हैं। गिरिधर गमांग 9 बार संसद के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने 2015 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था।
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Former Odisha CM resigns from BJP : पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने इस्तीफे में कहा, ‘मैंने महसूस किया कि मैं पिछले कई सालों के दौरान ओडिशा में अपने लोगों के लिए राजनीतिक, सामाजिक और नैतिक कर्तव्य का निर्वहन करने में असमर्थ हूं। इसलिए, मैं तत्काल प्रभाव से भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा देता हूं। कृपया इसे स्वीकार करें।’ 9 बार के सांसद गिरिधर गमांग ने 1999 में वाजपेयी सरकार के खिलाफ मतदान करने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को संसद के पटल पर स्पष्टीकरण देने के लिए धन्यवाद दिया।
Former Odisha CM resigns from BJP : बीआरएस में शामिल होने की ओर इशारा करते हुए, गिरिधर गमांग ने कहा, ‘मैं एक राष्ट्रीय पार्टी (कांग्रेस) से एक अन्य राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी में आया था। मैं एक अन्य राष्ट्रीय पार्टी में शामिल हो जाऊंगा, जो अभी ओडिशा में अपने पैर रखने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी घोषणा की, कि वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वह बूढ़े हो गए हैं। आदिवासी नेता ने कहा, मेरा बेटा शिशिर चुनाव लड़ेगा।’
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Former Odisha CM resigns from BJP : इसी तरह बेटे शिशिर गमांग ने कहा हैं की वह कुछ वक़्त से भाजपा में रहते हुए आदिवासी समुदाय की सेवा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में वह अब उस राष्ट्रीय पार्टी से जुड़ सकते हैं जिसने प्रदेश में अभी-अभी कदम रखा हैं। उन्होंने बताया की 2019 के चुनाव में उन्होंने भाजपा से कोरापुट का उम्मीदवार बनाये जाने की मांग की थी लेकिन उन्हें गुनपुर से टिकट दिया गया। उन्हें वहां कार्यकर्ताओ का समर्थन और सहयोग हासिल नहीं हुआ और उन्हें हर का मुँह देखना पड़ा।

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