CM Vishnudeo Sai: ’24’ का रण..साय साधेंगे समीकरण! क्या साय के मुख्यमंत्री बनने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी है?

CM Vishnudeo Sai: '24' का रण..साय साधेंगे समीकरण! क्या साय के मुख्यमंत्री बनने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी है?

CM Vishnudeo Sai: ’24’ का रण..साय साधेंगे समीकरण! क्या साय के मुख्यमंत्री बनने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी है?
Modified Date: December 11, 2023 / 10:04 pm IST
Published Date: December 11, 2023 10:04 pm IST

रायपुर: CM Vishnudeo Sai छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन की तैयारियों के बीच 2024 में प्रदेश में आदिवासी CM बनाए जाने के बाद सियासी नफे-नुकसान का गणित लगाया जाने लगा है। बीजेपी ने प्रदेश की कमान एक आदिवासी के हाथ सौंपकर ना सिर्फ 2024 में आम चुनाव में देश की आदिवासी बहुल सीटों पर पकड़ मजबूत की है बल्कि आने वाले वक्त में पड़ोसी राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस समेत बाकी दलों के सामने चुनौती बढ़ा दी है। आखिर क्या है इस एक फैसले के पीछे का चुनावी कैलकुलेशन, कैसे साधेगी कांग्रेस इसके सामने अपने समीकरण?

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CM Vishnudeo Sai विष्णुदेव साय के तौर पर छत्तीसगढ़ को पहला आदिवासी मुख्यमंत्री मिल चुके हैं। 13 तारीख को सरकार के शपथ ग्रहण की तैयारियां हो चुकी हैं। पार्टी के इस फैसले को 2024 की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। दरअसल,आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में 90 में से 29 विधानसभा सीटें ST आरक्षित हैं, जिसमें सरगुजा की कुल 14 सीटों में से 9 सीटें और बस्तर की 12 सीटों में आदिवासी वर्ग के वोटर्स निर्णायक हैं। प्रदेश की कुल आबादी का 33 फीसदी इसी वर्ग से आता है…देश में कुल 47 सीटें ST आरक्षित हैं। छत्तीसगढ की 11 लोकसभा सीटों में से 4 सीटें ST आरक्षित हैं जबकि 5-7 सीटों पर आदिवासी वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। माना जा रहा है कि विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल में कम से कम दो और आदिवासी चेहरों को जगह मिल सकती है। बीजेपी, पहले देश की राष्ट्रपति और अब छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद पर आदिवासी को बैठाकर जनता के बीच ये बात स्थापित करना चाहती है कि आदिवासियों का मान और ध्यान केवल बीजेपी ने रखा है।

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इधऱ, बीजेपी नेताओं के दावे को खारिज करते हुए आदिवासी समाज से आने वाले PCC चीफ दीपक बैज कहते हैं कि आदिवासियों का विकास तो दूर की बात है कांग्रेस को चिंता है कि अब बीजेपी सरकार आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन, अडानी-अंबानी जैसे उद्योगपतियों के लिए ना खोल दे।

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दावे चाहे जो किए जाएं लेकिन ये साफ जाहिर है कि छत्तीसगढ़ में सरगुजा से आदिवासी CM फेस देकर बीजेपी ने जो दांव खेला है उसका असर पूरे मध्यभारत के राज्यों की लोकसभा सीटों पर सीधा असर पड़ेगा। इसके अलावा झारखंड में विधानसभा की 28 सीटें तो ओडिशा में 24 विधानसभा सीटें आदिवासियों के दबदबे वाली हैं जिनपर इस निर्णय़ का असर हो सकता है। साथ ही अब बीजेपी के पास विष्णुदेव साय के तौर पर एक आदिवासी CM होंगे जो अगले चुनाव में प्रचार में ST वर्ग के लिए बड़ा मैसेज देंगे। सवाल है कांग्रेस इस चुनौती का जवाब कैसे देगी?

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लेखक के बारे में

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