Rajgarh Lok Sabha Seat: राजगढ़ के रण में ‘कृष्ण’ को ‘लक्ष्मण’ ने दी थी मात, अब दिग्गी खुद उतरे हैं मैदान में, क्या बीजेपी लगा पाएगी हैट्रिक?
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Rajgarh Lok Sabha Seat Political Analysis
भोपालः Rajgarh Lok Sabha Seat Political Analysis मध्यप्रदेश की 9 लोकसभा सीटों पर मंगलवार को तीसरे चरण के तहत वोट डाले जाएंगे। इनमें प्रदेश की वीआईपी सीट माने जाने वाली राजगढ़ लोकसभा सीट भी शामिल है। चंबल और मध्य भारत अंचल में आने वाले इस लोकसभा सीट को कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह का गढ़ कहा जाता है, लेकिन बीतें कुछ सालों से यहां कांग्रेस कमजोर होती दिख रही थी। यही वजह है कि इस बार अब खुद दिग्विजय सिंह चुनावी मैदान पर उतरे हैं। वहीं भाजपा ने यहां अपने दो बार के सांसद रोडमल नागर को तीसरी मर्तबा मौका दिया है। इस बार भी भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना जताई जा रही है।
Rajgarh Lok Sabha Seat Political Analysis राजगढ़ लोकसभा सीट के सियासी इतिहास की बात करें तो यहां का इतिहास 1952 से शुरू होता है, कांग्रेस के लीलाधर जोशी 1952 और 1957 का चुनाव जीतकर लगातार दो चुनाव जीतकर राजगढ़ के पहले सांसद बने थे। 1952 और 1957 तक राजगढ़-शाजापुर संसदीय क्षेत्र था, जो उस समय अनारिक्षत व आरिक्षत वर्ग से एक-एक सांसद चुने जाते थे। ऐसे में लीलालधर जोशी आरिक्षत वर्ग से भागू नंदू मालवीय भी सांसद सांसद चुने गए थे, 1957 में आरिक्षत वर्ग से कन्हैयालाल सांसद चुने गए थे। 1962, 1967 और 1971 के चुनावों तक राजगढ़ जिला तीन लोकसभा क्षेत्रों शाजापुर, भोपाल व गुना में बंटा रहा। इस दौरान 1962 में निर्दलीय भानुप्रकाश सिंह, 1967 में बाबूराव पटेल और जगन्नाथ राव जोशी जनसंघ से सांसद चुने गए थे। 1977 के चुनावों से राजगढ़ संसदीय सीट अस्तित्व में आ गई। 1977 और 1980 के चुनावो में जनता पार्टी के बसंत कुमार पंडित यहां से सांसद चुने गए थे।
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह पहली बार इस सीट से सांसद चुने गए थे। हालांकि 1989 के चुनाव में उन्हें बीजेपी के प्यारेलाल खंडेलवाल से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन 1991 में ही दिग्विजय सिंह ने फिर वापसी करते हुए प्यारेलाल खंडेलवाल को हराया था। 1994 में इस सीट पर उपचुनाव हुए और यहां से दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह पहली बार सांसद चुने गए, जिसके बाद लक्ष्मण सिंह ने 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव तक यहां से लगातार जीत हासिल की थी। हालांकि 2004 का चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट पर जीता था। ऐसे में इस सीट पर राघौगढ़ परिवार का दबदबा देखा जाता रहा है। दिग्विजय सिंह और लक्ष्मण सिंह इस सीट से सात चुनाव जीत चुके हैं, 2009 में कांग्रेस के आमलाबे नारायण सिंह चुनाव जीते थे, जबकि 2014 और 2019 से बीजेपी के रोडमल नागर चुनाव जीत रहे हैं। राजगढ़ लोकसभा सीट पर अब तक कुल 16 आम चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 7 बार कांग्रेस, चार बार बीजेपी, दो बार जनसंघ, दो बार जनता पार्टी और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है।
‘कृष्ण’ को लक्ष्मण ने हराया था चुनाव
राजगढ़ लोकसभा सीट पर एक चुनाव में महाभारत के ‘कृष्ण’ को लक्ष्मण से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. दरअसल, 1999 के लोकसभा चुनाव में प्रसिद्ध सीरियर महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण का किरदार निभाने वाले नितीश भरद्वाज को बीजेपी ने चुनाव लड़वाया था, जबकि कांग्रेस ने उनके सामने दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को ही उतारा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
राजगढ़ का जातिगत समीकरण
राजगढ लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां तीन जिलों की 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें राजगढ़ जिले की राजगढ़, नरसिंहगढ़, ब्यावरा, खिलचीपुर और सारंगपुर शामिल हैं। इसके अलावा गुना जिले की राघौगढ़ और चाचौड़ा जबकि आगर मालवा जिले की सुसनेर विधानसभा सीट भी इसी संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं। 2023 के विधानसभा चुनावों में 8 सीटों में से बीजेपी ने 6 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि 2 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है
वहीं मतदाताओं की बात करें यहां 18 लाख 69 हजार मतदाता है। जिसमें से 81.39 प्रतिशत ग्रामीण और 18.61 फीसदी शहरी आबादी है। जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां एससी 18.68 प्रतिशत और एसटी के 12.32 प्रतिशत लोग निवास करते है। इस लोकसभा पर सबसे ज्यादा आबादी ओबीसी वर्ग की है। इसमें भी 10-10 फीसदी आबादी दांगी-सौंधिया और 7 प्रतिशत मुस्लिम, 6 प्रतिशत गुर्जर ,7 प्रतिशत यादव, 5 प्रतिशत राजपूत, 6 प्रतिशत वैश्य और 30 प्रतिशत अन्य समाज व वर्ग से संबंधित हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के रोडमल नागर ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस की मोना सुस्तानी को हराया था। रोडमल को 8.23 लाख वोट मिले थे। वहीं, दूसरे स्थान पर रहीं मोना को 3.92 लाख मत मिले थे। हैरानी की बात यह है कि पिछले चुनाव में यहां तीसरे स्थान पर NOTA था। 10 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने राजगढ़ सीट पर NOTA का बटन दबाया था।

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