Bhopal Commissionerate System Review: क्या मोहन सरकार पलटने जा रही है शिवराज सरकार का फैसला?.. पुलिस विभाग के इस निर्णय की हो रही है समीक्षा..

फिलहाल, भोपाल और इंदौर के पुलिस कमिश्नरों को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, नोएडा या लखनऊ जैसे शहरों में कार्यरत पुलिस आयुक्तों की तरह विस्तृत मजिस्ट्रियल अधिकार नहीं दिए गए हैं। विपक्ष का कहना है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बावजूद अपराध में उल्लेखनीय गिरावट नहीं आई है, जबकि सरकार का मानना है कि इस पर एक निष्पक्ष समीक्षा के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

Bhopal Commissionerate System Review: क्या मोहन सरकार पलटने जा रही है शिवराज सरकार का फैसला?.. पुलिस विभाग के इस निर्णय की हो रही है समीक्षा..

Commissionerate system will be removed from Bhopal? || Image- IBC24 News

Modified Date: February 13, 2025 / 05:20 pm IST
Published Date: February 13, 2025 5:19 pm IST
HIGHLIGHTS
  • भोपाल के कमिश्नर प्रणाली की होगी समीक्षा
  • अपराधों में नहीं लग पा रही है लगाम
  • 3 साल पहले तत्कालीन शिवराज सरकार ने किया था लागू
  • ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी एसएसपी ही पुलिस मुखिया
  • कांग्रेस ने भी उठाये थे इस फैसले पर सवाल

Commissionerate system will be removed from Bhopal? : भोपाल: मध्यप्रदेश की मोहन सरकार अब भोपाल और इंदौर में लागू की गई पुलिस कमिश्नर प्रणाली की गहन समीक्षा करने जा रही है। इस समीक्षा के बाद यह तय किया जाएगा कि इस प्रणाली को जारी रखा जाए, इसमें संशोधन किया जाए या फिर इसे समाप्त कर दिया जाए।

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गौरतलब है कि 9 दिसंबर 2021 को शिवराज सरकार ने अचानक भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी थी। इसके तहत भोपाल के 38 और इंदौर के 36 थाना क्षेत्रों को इस प्रणाली में शामिल किया गया था, जबकि ग्रामीण इलाकों में अब भी पुलिस अधीक्षक प्रणाली ही लागू है।

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Commissionerate system will be removed from Bhopal?: हालांकि, तीन साल बीत जाने के बावजूद, अपराधों में कोई उल्लेखनीय गिरावट नहीं देखी गई है। रिपोर्टों के मुताबिक, कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बावजूद पुलिस बल की जमीनी उपस्थिति में कमी आई है, जिससे कानून व्यवस्था पर अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ रहा है।

अपराध दर के आधार पर फैसला

सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र के दौरान इस प्रणाली की समीक्षा करने की योजना बना रही है। इसके तहत दोनों शहरों की अपराध रिपोर्ट का विश्लेषण किया जाएगा और उसी आधार पर यह निर्णय लिया जाएगा कि पुलिस आयुक्तों के अधिकारों में बढ़ोतरी की जाए या कटौती।

यदि समीक्षा में यह साबित होता है कि भोपाल और इंदौर में अपराध दर में कमी आई है, तो उज्जैन, जबलपुर और ग्वालियर में भी इस प्रणाली को लागू करने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन यदि अपराध दर में कोई विशेष सुधार नहीं दिखा, तो अन्य शहरों में इसे लागू करने का निर्णय टाल दिया जाएगा। इसके अलावा, वर्तमान में कार्यरत पुलिस आयुक्तों के अधिकारों पर भी पुनर्विचार किया जाएगा।

Commissionerate system will be removed from Bhopal?: गृह विभाग द्वारा प्रस्तुत आपराधिक आंकड़ों और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, पुलिस कमिश्नर प्रणाली और पुलिस अधीक्षक प्रणाली वाले क्षेत्रों की कानून व्यवस्था में कोई बड़ा अंतर नहीं देखा गया है।

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जबलपुर और ग्वालियर में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा की गई थी, लेकिन इसे लागू करने से पहले सरकार अब जनभावनाओं को ध्यान में रखेगी। यानी, इस विषय पर जनप्रतिनिधियों की राय ली जाएगी और आम जनता की अपेक्षाओं को भी समझने का प्रयास किया जाएगा।

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Commissionerate system will be removed from Bhopal?: फिलहाल, भोपाल और इंदौर के पुलिस कमिश्नरों को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, नोएडा या लखनऊ जैसे शहरों में कार्यरत पुलिस आयुक्तों की तरह विस्तृत मजिस्ट्रियल अधिकार नहीं दिए गए हैं। विपक्ष का कहना है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बावजूद अपराध में उल्लेखनीय गिरावट नहीं आई है, जबकि सरकार का मानना है कि इस पर एक निष्पक्ष समीक्षा के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

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