नई दिल्ली: 18 GST on Paratha देश में तेजी से बढ़ती महंगाई से जनता हलाकान है। हालांकि बीते लगभग 60 दिन से अधिक समय से पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर हैं। वहीं दूसरी ओर जीएसटी के चलते खाने-पीने सहित दैनिक उपभोग की चीजें महंगी हो गई है। इस बीच रोटी और पराठे पर जीएसटी लगाए जाने को लेकर बवाल मचा हुआ है। बता दें कि पहले ही पैक्ट और अनपैक्ट चीजों पर जीएसटी लगाए जाने को लेकर बवाल मच चुका है।
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18 GST on Paratha दरअसल, गुजरात की अपीलेट अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग ( AAAR) ने रेडी टू कुक यानि फ्रोजेन पराठों पर 18 प्रतिशत GST लगाने के फैसले को मंजूर किया है। वहीं रोटी पर 5 फीसदी ही टैक्स लगेगा। याचिकाकर्ता अहमदाबाद की कंपनी वाडीलाल इंडस्ट्रीज की अपील पर यह फैसला आया है। इधर पराठे के बिजनेस से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि पराठे पर रोटी से अधिक जीएसटी नहीं लगाई जानी चाहिए क्योंकि दोनों ही गेहूं के आटे से बनते हैं। उनका कहना है कि दोनों पर एक समान टैक्स लगना चाहिए। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
याचिकाकर्ता का कहना था कि उनकी कंपनी 8 तरह के फ्रोजन पराठे बनाती है जिसमें मलबार पराठा, मिक्स पराठा, वेज पराठा, ओनियन पराठा, प्लेन पराठा, आलु पराठा, लच्छा पराठा शामिल हैं। इसमें मुख्य रूप से आटे का ही इस्तेमाल होता है। याचिकाकर्ता की दलील थी की, ये रोटी की श्रेणी में आता है क्योंकि इस में रॉ-मटेरियल के तौर पर आटा, तेल, सब्ज़ी का ही इस्तेमाल होता है और वो ऐसे पराठे बेचते हैं जिसे लोग अपने घर ले जा कर गरम कर खा सकते हैं। इस यहां एसजीएसटी या सीजीएसटी नहीं लगना चाहिए।
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इसपर गुजरात जीएसटी प्राधिकरण ने कहा कि रोटी रेडी टु ईट होती है, जबकि कंपनी का पराठा फ्रोजेन यानि रेडी टू कूक है। टैक्स प्राधिकारियों का साफ कहना है कि पराठा और रोटी बिल्कुल ही अलग हैं। रोटी को आप बिना मक्खन या घी के खा सकते हैं, लेकिन पराठा इनके बगैर नहीं बनता, चूंकि घी या बटर का पराठा एक तरह से लग्जरी की श्रेणी में आता है, इसलिए इन पर 18 फीसदी टैक्स वसूला जाना जायज है।