दूसरी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह 25.5 प्रतिशत घटा: सूत्र

दूसरी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह 25.5 प्रतिशत घटा: सूत्र

दूसरी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह 25.5 प्रतिशत घटा:  सूत्र
Modified Date: November 29, 2022 / 08:33 pm IST
Published Date: September 17, 2020 4:16 pm IST

मुंबई, 17 सितंबर (भाषा) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह 25.5 प्रतिशत घटकर 1,59,057 करोड़ रुपये रहा। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी। तिमाही के दौरान व्यक्तिगत आयकर के मुकाबले कंपनी कर में गिरावट अधिक रही।

हालांकि, पहली तिमाही की तुलना में स्थिति में सुधार आया है। जून तिमाही में अग्रिम कर संग्रह 76 प्रतिशत गिरकर 11,714 करोड़ रुपये रहा था। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन के कारण पहली तिमाही में यह स्थिति बनी थी।

मुंबई क्षेत्र के एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘सालाना आधार पर दूसरी तिमाही में कुल अग्रिम कर संग्रह 25.5 प्रतिशत गिरकर 1,59,057 करोड़ रुपये रहा है जो कि एक साल पहले इसी अवधि में 2,12,889 करोड़ रुपय रहा था। इनमें से कंपनियों ने अग्रिम कर में केवल 1,29,619.6 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो एक साल पहले की तुलना में 27.3 प्रतिशत कम है। इस दौरान व्यक्तिगत आयकर संग्रह साल भर पहले के 34,632.9 करोड़ रुपये से 15 प्रतिशत कम रहकर 29,437.5 करोड़ रुपये रहा है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया। इसमें महज 5.6 प्रतिशत की गिरावट आयी और यह साल भर पहले के 1,46,792.4 करोड़ रुपये की तुलना में कम रहकर 1,38,605.2 करोड़ रुपये रहा है।’’

इससे पहले जून 2020 को समाप्त पहली तिमाही में अग्रिम कॉरपोरेट कर संग्रह 79 प्रतिशत घटकर 8,286 करोड़ रुपये रहा, जो जून 2019 की इसी तिमाही में 39,405 करोड़ रुपये रहा था।

अधिकारी ने कहा कि पहली तिमाही में अग्रिम व्यक्तिगत आयकर संग्रह 64 प्रतिशत घटकर 3,428 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में 9,512 करोड़ रुपये रहा था।

अग्रिम कर की दूसरी किस्त का भुगतान करने की समय सीमा 15 सितंबर थी। कंपनियों और व्यक्तियों को उनके अपने संभावित कुल कर का 15 प्रतिशत पहली तिमाही में, उसके बाद दूसरी और तीसरी तिमाही में 25- 25 प्रतिशत तथा शेष 35 फीसदी का भुगतान आखिरी तिमाही में करना होता है।

वित्त वर्ष 2020-21 के आम बजट में सकल कर संग्रह में 12 प्रतिशत की तेजी आने का अनुमान लगाया गया था। बजट अनुमानों के मुताबिक कुल कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष के 21.63 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 24.23 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की उम्मीद लगाई गई है।

इनमें से प्रत्यक्ष कर को लेकर बजट लक्ष्य 13.19 लाख करोड़ निर्धारित किया गया था, जो पिछले वित्त वर्ष के 10.28 लाख करोड़ रुपये से 28 प्रतिशत अधिक है। सरकार को कर विवाद सुलटाने वाली योजना ‘विवाद से विश्वास’ को करदाताओं की बेहतर प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद थी।

इस बीच कर अधिकारी ने बताया कि 16 सितंबर तक कुल कॉरपोरेट कर संग्रह 24.3 प्रतिशत घटकर 3,17,571.1 करोड़ रुपये और कुल व्यक्तिगत आयकर संग्रह 15 प्रतिशत घटकर 2,18,856.6 करोड़ रुपये रहा है। इस अवधि तक (16 सितंबर तक) शुद्ध कर संग्रह 3,28,133.2 करोड़ रुपये रहा, जो साल भर पहले की समान अवधि के 4,40,187.3 करोड़ रुपये से 25.5 प्रतिशत कम है। अधिकारी ने कहा कि अभी तक का सकल कर संग्रह भी साल भर पहले के 5,41,972.8 करोड़ रुपये से 20 प्रतिशत कम रहकर 4,33,804.6 करोड़ रुपये रहा है।

इस दौरान, विभाग ने करदाताओं को 1,01,785.5 करोड़ रुपये वापस कर दिए, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 1,05,671.4 करोड़ रुपये के रिफंड की तुलना में 3.8 प्रतिशत कम है।

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आंकड़ों से अर्थव्यवस्था में सुधार की गति के सुस्त रहने के संकेत मिलते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि आने वाले समय में क्रमिक सुधार की उम्मीद है।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने संपर्क करने पर पीटीआई-भाषा से कहा कि कर राजस्व के रुझान कई अन्य वृहद संकेतकों के रुझान के अनुरूप है। सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट भी पहली तिमाही की तुलना में कम रहेगी। हम इस तिमाही में जीडीपी में 11 से 13 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं।’’

इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डीके पंत ने कहा, ‘‘पूरे साल की यदि बात की जाये तो कर के आंकड़े कुछ और सुधर सकते हैं लेकिन वित्त वर्ष की समाप्ति तक यह आंकड़ा 12 से 15 प्रतिशत कम रह सकता है। पहली तिमाही में 31 प्रतिशत कमी रही, दूसरी में यह 22.5 प्रतिशत कम रहा, तीसरी तिमाही में और सुधरकर 17 से 18 प्रतिशत पर आ सकता है और वर्ष की समाप्ति 12 से 15 प्रतिशत गिरावट के साथ हो सकती है। चाहे राजस्व की बात हो या फिर समग्र आर्थिक वृद्धि की यह एकदम तीव्र गति से सुधरने वाली रफ्तार नहीं होगी।’’

भाषा

सुमन महाबीर

महाबीर


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