एआई मानवता की प्रगति की सबसे शक्तिशाली ताकत, खोजों में आएगी तेजीः गूगल डीपमाइंड
एआई मानवता की प्रगति की सबसे शक्तिशाली ताकत, खोजों में आएगी तेजीः गूगल डीपमाइंड
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) गूगल डीपमाइंड के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता ने मंगलवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) प्रगति के लिए मानवता की सबसे शक्तिशाली ताकत के रूप में उभरी है और इसके विकास से वैज्ञानिक खोजों में तेजी आने के साथ मानवीय क्षमताओं में भी बड़ा विस्तार होगा।
दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल के एआई-केंद्रित शोध प्रयोगशाला गूगल डीपमाइंड के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत वास्तविक दुनिया की ठोस समस्याओं के समाधान में एआई के उपयोग के मामले में अग्रणी देशों में शामिल है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि एआई को लेकर गूगल की सोच इसे मानव क्षमताओं का विस्तार करने वाले उपकरण के रूप में विकसित करने की है, जो विज्ञान, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में व्यापक असर डाल सकता है।
गूगल ने मंगलवार को भारत में एआई परिवेश मजबूत करने के लिए कई नई पहलों की घोषणा की। कंपनी ने स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और टिकाऊ शहरों से जुड़े एआई उत्कृष्टता केंद्रों के लिए 80 लाख डॉलर के वित्तपोषण की घोषणा की। इसके अलावा, भारत के हेल्थ फाउंडेशन मॉडल के विकास के लिए चार लाख डॉलर देने की प्रतिबद्धता भी जताई।
गूगल ने भारतीय भाषाओं पर आधारित एआई समाधान विकसित करने के लिए ज्ञानी.एआई, कोरोवर.एआई और भारतजेन को 50-50 हजार डॉलर का अनुदान देने की भी घोषणा की।
गुप्ता ने कहा कि एआई का असली प्रभाव ‘मूल समस्या बिंदुओं’ को सुलझाने में है, जिनका समाधान कई क्षेत्रों में एक साथ सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
उन्होंने बताया कि एआई अब केवल भविष्यवाणी करने या बातचीत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बहु-माध्यमीय तर्कशक्ति एवं एजेंटिक क्षमता की ओर बढ़ रहा है, जिससे यह उपयोगकर्ता की तरफ से खुद भी कदम उठा सकता है।
गूगल ने ‘वाधवानी एआई’ को स्वास्थ्य और कृषि के लिए बहुभाषी एआई अनुप्रयोगों के विकास हेतु 45 लाख डॉलर की सहायता देने की घोषणा की। इसके साथ ही कंपनी राजस्थान में 150 मेगावाट की सौर परियोजना के लिए रिन्यू एनर्जी के साथ साझेदारी कर रही है।
इसके अलावा, भारतीय भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए गूगल ने आईआईटी बंबई में इंडिक भाषा प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए 20 लाख डॉलर का प्रारंभिक योगदान देने की घोषणा भी की।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
रमण

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