एआईपीईएफ ने राष्ट्रीय विद्युत नीति में बदलाव के प्रस्ताव की निंदा की

एआईपीईएफ ने राष्ट्रीय विद्युत नीति में बदलाव के प्रस्ताव की निंदा की

एआईपीईएफ ने राष्ट्रीय विद्युत नीति में बदलाव के प्रस्ताव की निंदा की
Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 pm IST
Published Date: May 4, 2021 12:34 pm IST

नयी दिल्ली 04 मई (भाषा) आल इंडिया पावर इंजीनियर्स संघ (एआईपीईएफ) ने राष्ट्रीय विद्युत नीति में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार के प्रस्ताव की मंगलवार को निंदा करते हुए कहा कि प्रस्तावित बदलावों पर अभी व्यापक चर्चा की आवश्यकता है।

एआईपीईएफ ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बदलावों पर अभी कम से कम छह महीने तक व्यापक चर्चा की जरुरत है। बिजली क्षेत्र में निजीकरण के माध्यम से मूलभूत परिवर्तन किए जा रहे हैं और वो भी तब जब देश में कोरोना संक्रमण के कारण त्राहि मची हुई है।

संघ ने कहा, ‘‘आल इंडिया पावर इंजीनियर्स संघ केंद्र सरकार के बिजली क्षेत्र में निजीकरण के लिए राष्ट्रीय विद्युत नीति में बदलाव के प्रस्ताव की निंदा करता हैं।’’

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बयान में आरोप लगाते हुए कहा कि यह बिजली क्षेत्र में निजीकरण को पिछले दरवाजे से लाने की कोशिश है और इस प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। केंद्र सरकार का उद्देश्य मौजूदा राष्ट्रीय विद्युत नीति की समीक्षा या संशोधन करना नहीं है, बल्कि मौजूदा नीति को हटाकर नयी नीति लाना है, ताकि निजीकरण किया जा सके।

विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार, राज्य सरकारों और सांविधिक निकाय केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के साथ चर्चा के बाद ही एक राष्ट्रीय विद्युत नीति तैयार की जानी है। एआईपीईएफ का हालांकि कहना है कि सीईए को इस चर्चा में शामिल नहीं किया गया।

उसने कहा कि विशेषज्ञ समूह में सभी राज्यों के बजाय केवल पांच राज्यों को ही शामिल किया गया हैं।

एआईपीईएफ ने कहा कि मुख्य आर्थिक सलाहकार के सुब्रमण्यम ने कहा है कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसने इस कोरोना संकट का इस्तेमाल आसानी से सुधारों को लागू करने और भारत की आर्थिक सोच में बदलाव लाने के लिए किया।

संघ ने कहा कि एक बार जब नीति तय हो जायेगी तो अधिसूचित नीति को अधीनस्थ कानून का दर्जा मिल जाएगा। भाषा जतिन पाण्डेय

पाण्डेय


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