कृत्रिम मेधा का मतलब कौशल विकास है, नौकरी खत्म होना नहीं: टीसीएस वैश्विक एआई प्रमुख |

कृत्रिम मेधा का मतलब कौशल विकास है, नौकरी खत्म होना नहीं: टीसीएस वैश्विक एआई प्रमुख

कृत्रिम मेधा का मतलब कौशल विकास है, नौकरी खत्म होना नहीं: टीसीएस वैश्विक एआई प्रमुख

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Modified Date: April 27, 2025 / 03:39 PM IST
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Published Date: April 27, 2025 3:39 pm IST

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की कृत्रिम मेधा (एआई) इकाई के वैश्विक प्रमुख अशोक कृष ने कहा कि एआई नई प्रौद्योगिकियों के सृजन को बढ़ावा देगी तथा कार्य की प्रकृति को नया आकार देगी।

उन्होंने कहा कि एआई को कौशल परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि नौकरियों के लिए खतरे के नजरिए से।

कृष ने पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में बताया कि एआई केवल एक प्रौद्योगिकी बदलाव नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक परिवर्तन है जिसके लिए ऐसे कार्यान्वयन के साथ-साथ लोगों के काम करने के तरीके को बदलने की आवश्यकता है।

पिछले तीन दशकों में विघटनकारी प्रौद्योगिकियों – मेनफ्रेम से लेकर इंटरनेट, ई-कॉमर्स, डिजिटल और क्लाउड तक की बार-बार लहरें देखी गई हैं। प्रत्येक बदलाव ने भविष्य की संभावनाओं के बारे में आशंकाएं और कभी-कभी ‘भयभीत करने वाली’ भावनाएं पैदा की हैं।

व्यापक रुझान को देखते हुए, उन्होंने कहा कि एआई सिर्फ़ अगला विकास है, जो अंततः अधिक प्रौद्योगिकी के निर्माण की ओर ले जाएगा, क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया को सरल बनाता है।

कृष ने कहा, “इसलिए मुझे लगता है कि इसे नौकरी घटने के नजरिए से देखना गलत है और यह कौशल विकास का एक अवसर है।”

उन्होंने कहा कि एआई मौजूदा तकनीक का विस्तार करेगा, लेकिन इसके जरिये किए जाने वाले काम की प्रकृति भिन्न होगी।

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय

 

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