व्यापरी संगठन कैट ने दिल्ली में बाजार खोलने के सम-विषम फार्मूले की आलोचना की
व्यापरी संगठन कैट ने दिल्ली में बाजार खोलने के सम-विषम फार्मूले की आलोचना की
नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) असंगठित क्षेत्र के व्यापारियों के संगठन कैट (सीएआईटी) ने दिल्ली सरकार के सोमवार से बाजारों को खोलने की अनुमति देने के फैसले का स्वागत किया, लेकिन सरकार के ‘सम-विषम फॉर्मूले’ का यह कहते हुए विरोध किया कि यह शहर के व्यावसायिक चरित्र के अनुरूप नहीं है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को लॉकडाउन में आगे और ढील देने की घोषणा की और कहा कि दिल्ली मेट्रो 50 प्रतिशत यात्रियों के साथ चलायी जाएगी और राष्ट्रीय राजधानी में बाजार और मॉल सम-विषम आधार पर खुलेंगे।
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, ‘‘सम-विषम फॉर्मूला कभी भी दिल्ली के व्यापारिक चरित्र के अनुकूल नहीं है क्योंकि देश का सबसे बड़ा वितरण केंद्र होने के नाते, दिल्ली का एक बिल्कुल अलग व्यवसाय प्रारूप है जहाँ एक व्यापारी माल की खरीद के लिए दूसरे पर निर्भर हैं।”
उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘यह बेहतर होता अगर दिल्ली सरकार दिल्ली के विभिन्न बाजारों में टुकड़ों अलग-अलग समय पर दुकानें खेलवाती।’’
उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री केजरीवाल को लिखे अपने पहले पत्र में, कैट ने थोक बाजारों के लिए – सुबह 10 से शाम 4 बजे तक – और खुदरा बाजारों के लिए दोपहर 12 बजे से शाम 7 बजे तक का अलग अलग समय खोलने का सुझाव दिया।
दिल्ली सरकार ने पहली बार 19 अप्रैल को पूर्ण साप्ताहिक लॉकडॉऊन लागू किया था जिसे बाद में कई बार बढ़ाया गया और आखिरी बार 23 मई को इसे बढ़ाया गया।
दिल्ली सरकार ने 31 मई से विनिर्माण और निर्माण गतिविधियों को फिर से शुरू करने की अनुमति दी।
कैट के अनुसार, इस निर्णय से विशेष रूप से उपभोक्ताओं के लिए भ्रम की स्थिति बढ़ जाएगी, क्योंकि वे बाजारों में बिना यह जाने खरीदारी के लिए आएंगे ‘‘कि जिस दुकान से वे खरीदना चाहते हैं’’ वह सम-विषम नियम लागू होने के कारण खुली होगी या नहीं।
सरकार से बाजारों को सम-विषम फार्मूले से खोलने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और इसके बजाय अलग अलग समय पर खोलने का विकल्प चुनने के लिए कहते हुए, इस व्यापारी निकाय ने निर्णय लेने से पहले व्यापारी संघों से परामर्श नहीं करने के लिए आप सरकार की आलोचना की।
कैट ने एक बयान में कहा, ‘‘यह संतोष की बात होगी कि दुकानें खुली हैं लेकिन वास्तव में कितनी व्यावसायिक गतिविधियां होंगी (किसी का) इस पर अभी केवल अटकलें ही लगायी जा सकती हैं।’’
भाषा राजेश राजेश मनोहर
मनोहर

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