कैग ने केंद्र, राज्यों से व्यय के रिकॉर्ड के लिए एक समान वर्गीकरण व्यवस्था अपनाने को कहा

कैग ने केंद्र, राज्यों से व्यय के रिकॉर्ड के लिए एक समान वर्गीकरण व्यवस्था अपनाने को कहा

कैग ने केंद्र, राज्यों से व्यय के रिकॉर्ड के लिए एक समान वर्गीकरण व्यवस्था अपनाने को कहा
Modified Date: November 20, 2025 / 04:18 pm IST
Published Date: November 20, 2025 4:18 pm IST

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केंद्र और सभी राज्यों से सरकारी खर्चों को दर्ज करने के लिए मानक श्रेणियों का उपयोग शुरू करने को कहा है। इसका मकसद वित्त वर्ष 2027-28 तक पूरे देश में लेखांकन और लेखा परीक्षा में एकरूपता लाना है।

कैग का यह कदम व्यय मदों को अलग-अलग दिखाने को लेकर राज्यों के बीच व्यापक अंतर को दूर करने का प्रयास है।

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उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सरकारी लेखा) और चेयरपर्सन (जीएएसएबी) जयंत सिन्हा ने कहा कि यह मामला कई पक्षों का ध्यान आकर्षित कर रहा था। साथ ही विभिन्न अवधियों और राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार के साथ तुलना को भी प्रभावित कर रहा था।

कैग ने अलग-अलग स्तर पर व्यय मदों की एक सामान्य सूची अधिसूचित की है। इसे सामान्य तौर पर विभिन्न श्रेणियों में व्यय कहा जाता है।

सिन्हा ने कहा कि देश में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने की हाल की पहल के तहत ऐसा किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक प्रकृति के व्यय को अलग-अलग दिखाने में व्यापक भिन्नता विभिन्न अवधियों और राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार के साथ तुलनाओं को भी प्रभावित करती है। अत:, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के व्यय के वर्गीकरण के मानकीकरण की आवश्यकता महसूस की गई है।

कैग कार्यालय द्वारा शुरू की गई इस प्रक्रिया के तहत, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, कुछ राज्य सरकारों, लेखा महानियंत्रक और रक्षा लेखा महानियंत्रक के अधिकारियों को लेकर एक कार्यसमूह का गठन किया गया।

कैग के कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘कार्यसमूह की सिफारिशों और इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग, भारत सरकार के साथ बातचीत के आधार पर, यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों पर लागू एक समान व्यय मदों की संरचना लागू की जा सकती है।’’

इसमें कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा लागू की जाने वाली सामान्य मदों की संशोधित सूची को तैयारियों के स्तर को ध्यान में रखते हुए अपनाया जा सकता है। लेकिन तरजीही रूप से वित्त वर्ष 2027-28 से प्रभावी होना चाहिए।’’

सिन्हा ने कहा कि व्यय के वस्तु मदों को सुसंगत बनाने वाली कैग की अधिसूचना राज्यों के बजट और लेखा ढांचे को प्रभावित करने वाले दशकों पुराने मुद्दे का समाधान करेगी और राष्ट्रीय सार्वजनिक व्यय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सुधार होगा।

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से राज्यों में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करना कैग की रणनीतिक योजना का एक प्रमुख हिस्सा है। इसके साथ उच्च गुणवत्ता वाले लेखा परीक्षण और लेखांकन के माध्यम से जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने और सभी हितधारकों को स्वतंत्र आश्वासन प्रदान करने के कैग के मिशन का अभिन्न अंग है।

भाषा रमण अजय

अजय


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