केन्द्र और रिजर्व बैंक ने न्यायालय को बताया: ऋण भुगतान स्थगन की अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है
केन्द्र और रिजर्व बैंक ने न्यायालय को बताया: ऋण भुगतान स्थगन की अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है
नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया कि कोरोना वायरस की महमारी के मद्देनजर ऋण वापसी पर घोषित स्थगन अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की तीन सदस्यीय पीठ को केंद्र और आरबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार ने कहा कि महामारी की वजह से मुश्किल का सामना कर रहे क्षेत्रों की मदद के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से संबंधित लॉकडाउन और प्रतिबंधों की वजह से अप्रैल से जून की तिमाही में अर्थव्यवस्था में करीब 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है।
पीठ ने कहा कि वह बुधवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी जिनमें कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन में रिजर्व बैंक द्वारा ऋण के किश्तों में देरी के लिए घोषित स्थगन अवधि के लिए ब्याज लेने का मुद्दा उठाया गया है।
मेहता ने शुरू में ही पीठ को सूचित किया कि केन्द ने इस मामले में हलफनामा दाखिल किया है।
न्यायालय ने जब यह कहा कि उसे हलफनामा अभी तक नहीं मिला है तो मेहता ने कहा कि पीठ को इस पर विचार करना चाहिए और मामला दो तीन दिन बाद सूचीबद्ध कर दिया जाये।
मेहताने कहा कि मुश्किलों का सामना कर रहे क्षेत्रों के लिये अनेक कदम उठाये गये हैं।
इस पर पीठ ने कहाकि केन्द्र सरकार, रिजर्व बैंक और बैकों को ब्याज पर ब्याज के पहलू पर एकसाथ विचार करना चाहिए।
मेहता ने कहा कि ऋण भुगतान के स्थगन की अवधि दो साल तक बढ़ायी जा सकती है।
मेहता ने कहा कि महामारी की वजह से देश परेशानियों से जूझ रहा है और प्राधिकारी इन मुद्दों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं ।
इस मामले को बुधवार के लिये सूचीबद्ध करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘हम इस मामले को कल सूचीबद्ध करेंगे और हम सिर्फ इसी मामले पर सुनवाई करेंगे और इसका फैसला करेंगे।’’
न्यायालय ने 26 अगस्त को कोविड- 19 के बीच लागू लॉकडाउन के दौरान कर्ज की स्थगित की गई किस्तों पर ब्याज लिये जाने के मुद्दे पर कहा था कि केन्द्र इस मामले में रिजर्व बैंक की ओट ले रहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र से इस मुद्दे पर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केंद्र और आरबीआई से स्थगन अवधि के कारण किश्त देने में हुई देरी की अवधि के लिए ब्याज वसूलने के फैसले की समीक्षा करने के लिये कहा था।
ब्याज पर ब्याज वसूले जाने का मुद्दा उठाते हुये आगरा निवासी गजेन्द्र शर्मा तथा अन्य ने न्यायालय में याचिकायें दायर कर रखी हैं। शर्मा ने रिजर्व बैंक के 27 मार्च की अधिसूचना के एक हिस्से की वैधानिकता को चुनौती दे रखी है।
भाषा अनूप
अनूप मनोहर
मनोहर

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