नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ट्विटर पर नये आईटी नियमों का अनुपालन नहीं करने का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी और कहा कि माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट द्वारा एक मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ), निवासी शिकायत अधिकारी (आरजीओ) और नोडल संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति से केंद्र के संतुष्ट होने के मद्देनजर याचिका में “कुछ भी नहीं रह जाता है।”
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि ट्विटर पहले ही याचिकाकर्ता – वकील अमित आचार्य – द्वारा कुछ आपत्तिजनक ट्वीट के संबंध में की गयी शिकायत से निपट चुकी है और इस तरह याचिका का अब कोई मतलब नहीं रह जाता है।
उन्होंने याचिका का निपटान करते हुए यह भी साफ किया कि याचिकाकर्ता कथित रूप से आपत्तिजनक ट्वीट के खिलाफ अपनी शिकायत पर ट्विटर द्वारा की गयी कार्रवाई के खिलाफ उचित कानूनी सहारा लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
न्यायाधीश ने कहा, ‘इसमें क्या बचता है? अब कुछ नहीं बचता है.. अपील को लेकर संतुष्टि हैं। अगर आपको कोई शिकायत है, तो आप आदेश को चुनौती दे सकते हैं।’
अदालत ने कहा, ‘प्रतिवादी संख्या एक (केंद्र) ने एक हलफनामा दायर कर साफतौर पर कहा है कि प्रतिवादी संख्या दो (ट्विटर) आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए, जिसे याचिकाकर्ता ने खारिज नहीं किया है, आगे कुछ भी नहीं बचता है।”
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल आचार संहिता) नियम, 2021 सोशल मीडिया मंच सहित साइबर जगत में सामग्री के प्रसार और प्रकाशन को विनियमित करना चाहते हैं और केंद्र सरकार द्वारा इसे फरवरी में अधिसूचित किया गया था।
पिछले महीने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अदालत को बताया था कि अमेरिकी सोशल मीडिया साइट ने नियमों का अनुपालन करते हुए सीसीओ, आरजीओ और नोडल संपर्क व्यक्ति को नियुक्त किया है।
अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा कि ट्विटर ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि कर्मियों (सीसीओ, आरजीओ और नोडल संपर्क व्यक्ति) को कंपनी के कर्मचारियों के रूप में नियुक्त गया है, न कि ‘आकस्मिक कर्मचारी’ के रूप में।
भाषा प्रणव अजय
अजय
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