कोयला घोटाला: सीबीआई ने 10 साल की जांच के बाद आरपीजी इंडस्ट्रीज, अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया

कोयला घोटाला: सीबीआई ने 10 साल की जांच के बाद आरपीजी इंडस्ट्रीज, अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया

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  • Publish Date - September 21, 2022 / 07:49 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:22 PM IST

नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 10 साल तक चली जांच के बाद आरपीजी समूह की कंपनियों के खिलाफ कोयला घोटाले के संबंध में एक नयी प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

जांच एजेंसी ने 1993 से 1995 तक पश्चिम बंगाल में सरिसाटोली, तारा और देवचा पचमी ब्लॉकों की 27 साल पुरानी आवंटन प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के संबंध में आरपीजी इंडस्ट्रीज लिमिटेड, आरपीजी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और सीईएससी लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 19 सितंबर, 2012 को तत्कालीन कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित और छह अन्य सांसदों की एक शिकायत का हवाला दिया था। इस शिकायत में 1993-2004 के दौरान 24 कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग की गई थी।

इसके बाद सीबीआई ने 26 सितंबर, 2012 को एक प्रारंभिक जांच शुरू की।

अधिकारियों ने कहा कि आरपीजी इंडस्ट्रीज, आरपीजी एंटरप्राइजेज और कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन (सीईएससी) लिमिटेड को ब्लॉकों के आवंटन में कथित अनियमितताओं का उल्लेख शिकायत में किया गया था।

सीबीआई की ताजा प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि आरपीजी इंडस्ट्रीज ने 1992 में निजी खनन ब्लॉक के लिए कोयला मंत्रालय से अनुरोध किया था। इस आवेदन के तहत सीईएससी को बिजली उत्पादन करना था।

मंत्रालय ने इसके लिए सरिसाटोली कोयला ब्लॉक को छांटा। अगले साल, सीईएससी ने कहा कि निर्धारित ब्लॉक उनके बिजलीघरों की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और उसने एक अतिरिक्त कोयला ब्लॉक की मांग की।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि आरपीजी इंडस्ट्रीज ने मई, 1995 में राजस्थान के धौलपुर में एक परियोजना के लिए महान ब्लॉक की मांग करते हुए दो अलग-अलग मंजूरी संलग्न की।

एफआईआर में कहा गया है, ‘‘जांच में पता चला कि कंपनियों ने कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए प्रस्तावित बिजली संयंत्र के स्वामित्व / विकास / संचालन के बारे में गलत जानकारी दी। एक स्थान पर यह कहा गया कि संयंत्र आरपीजी इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित किया जाएगा, जबकि अन्य स्थानों पर कहा गया कि इसे सीईएससी विकसित करेगी।’’

अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने आरोप लगाया है कि एक मंजूरी आरपीजी एंटरप्राइजेज के नाम पर थी, जबकि दूसरी सीईएससी लिमिटेड के नाम पर थी, जबकि केवल सीईएससी बिजली उत्पादन के कारोबार में थी। सीबीआई ने आरपीजी इंडस्ट्रीज द्वारा महान ब्लॉक के लिए जमा किए गए दस्तावेजों में विसंगतियों का भी पता लगाया।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय