सरकार 40 गीगावाट अप्राप्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को एफडीआरई विकल्प में बदलेगी: सुज़लॉन

सरकार 40 गीगावाट अप्राप्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को एफडीआरई विकल्प में बदलेगी: सुज़लॉन

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  • Publish Date - December 7, 2025 / 05:50 PM IST,
    Updated On - December 7, 2025 / 05:50 PM IST

पुडुचेरी, सात दिसंबर (भाषा) सुजलॉन समूह के उपाध्यक्ष गिरीश तांती का अनुमान है कि सरकार 40 गीगावॉट से अधिक बिना अनुबंध वाली नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को स्थिर और प्रेषणीय नवीकरणीय ऊर्जा (एफडीआरई) विकल्प में परिवर्तित कर सकती है क्योंकि यह विकल्प साधारण सौर और पवन परियोजनाओं की तुलना में अधिक भरोसेमंद है।

स्थिर और प्रेषणीय नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना में सौर, पवन और ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बैटरी) का संयोजन किया जाता है, जिससे पीक मांग के समय विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होती है।

सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, लगभग 45.34 गीगावॉट क्षमता के लिए विद्युत खरीद समझौते (पीपीए) पर अब तक हस्ताक्षर नहीं हुए हैं।

सरकार इन परियोजनाओं के लिए समाधान खोजने में सक्रिय है। निविदा के विजेता वितरण कंपनियों के साथ समझौता करने का प्रयास कर रहे हैं।

साथ ही, चार नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन निकाय सेसी, एनटीपीसी, एनएचपीसी और एसजेवीएन– ने प्रस्ताव दिया है कि स्वीकृत विद्युत क्षमता की नीलामी के माध्यम से समस्या का समाधान किया जाए।

गिरीश तांती ने कहा, ”इस समय यह क्षमता भारत सरकार द्वारा पुनर्मूल्यांकन के अधीन है। मेरा अनुमान है कि इसे स्थिर और प्रेषणीय नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तित किया जाएगा।”

उनके बयान इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत का लक्ष्य 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करना है।

तांती ने कहा कि स्थिर और प्रेषणीय नवीकरणीय ऊर्जा उपभोक्ताओं द्वारा स्वीकार्य होगी, भले ही इसकी दर थोड़ी अधिक हो, क्योंकि यह साधारण सौर और पवन ऊर्जा की तुलना में अधिक भरोसेमंद है।

उन्होंने कहा, ”5.5 रुपये प्रति यूनिट में 24 घंटे बिजली उपलब्ध हो सकती है, जिसमें सौर, पवन और बैटरी प्रणाली शामिल है। यह अभी भी कोयला बिजली से सस्ता है। अब हम 24 घंटे की आपूर्ति के लिए कोयले से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। संभावना है कि यह क्षमता किसी रूप में स्थिर और प्रेषणीय नवीकरणीय ऊर्जा बनेगी।”

भाषा

योगेश पाण्डेय

पाण्डेय