कंपनियों ने चंडीगढ़ वितरण कंपनी के निजीकरण नियमों में बदलाव का विरोध किया

कंपनियों ने चंडीगढ़ वितरण कंपनी के निजीकरण नियमों में बदलाव का विरोध किया

कंपनियों ने चंडीगढ़ वितरण कंपनी के निजीकरण नियमों में बदलाव का विरोध किया
Modified Date: November 29, 2022 / 07:54 pm IST
Published Date: March 12, 2021 1:33 pm IST

नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) चंडीगढ़ बिजली वितरण कंपनी के निजीकरण के लिये अंतिम तिथि के बाद नये बोलीदाताओं को अनुमति देने समेत बोली शर्तों में बदलाव का उद्योग ने विरोध किया है और बदले गये नियमों को तुरंत वापस लेने की मांग की है।

निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करने वाले एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स (एपीपी) ने केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक को कड़े शब्दों में पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि बोलीदाता पहले ही बोलियां जमा कर चुके हैं और इस अवस्था में नियमों में संशोधन पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है और भविष्य के लिये गलत उदाहरण पेश करता है।

छह बड़ी कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी, निजी क्षेत्र की टाटा पावर, अडाणी ट्रांसमिशन, टोरेंट पावर, स्टरलाइट पावर और रीन्यू पावर ने वितरण कंपनी में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिये बोलियां जमा की हैं। यह वितरण कंपनी केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में बिजली वितरण का काम कर रही है।

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एपीपी ने लिखा है, ‘‘बोली जमा करने की अंतिम तिथि आठ फरवरी, 2021 थी और बोली प्रक्रिया को अच्छी प्रतिक्रया मिली…हालांकि यह अत्यंत हैरान करने वाला है कि अनुरोध प्रस्ताव (आरएफक्यू) दस्तावेज में संशोधन बोली जमा करने की अंतिम तिथि के बाद आठ मार्च, 2021 को जारी किया गया।’’

पत्र के अनुसार संशोधन न केवल कुछ उपबंधों में किया गया बल्कि बोली जमा करने की अंतिम तिथि गुजर जाने के बाद नये बोलीदाताओं को बोली जमा करने की मंजूरी दी गयी है। उपबंधों में संशोधन से वित्तीय बोली पर असर पड़ेगा।

पत्र की प्रति केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह और गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को भी भेजी गयी है।

केंद्रशासित प्रदेशों में वितरण कंपनियों के निजीकरण के सरकार की पहल के तहत चंडीगढ़ में नौ नवंबर, 2020 को वितरण लाइसेंस के लिये बोलियां आमंत्रित की गयी। बोली जमा करने की अंतिम तिथि आठ फरवरी थी।

चंडीगढ़ प्रशासन ने आठ मार्च को बोली दस्तावेज में संशोधन जारी किये। इसके तहत दो उपबंधों को संशोधित किया गया जिसका वित्तीय बोलियों पर हल्का प्रभाव पड़ेगा। साथ ही बोली जमा करने की तिथि बढ़ाकर 18 मार्च कर दी गयी।

संशोधन के तहत नये बोलीदाताओं को बोलियां जमा करने की अनुमति देने के साथ मौजूदा बोलीदाताओं को अपनी बोलियों को संशोधित करने की अनुमति दी गयी है।

एपीपी के अनुसार जो बदलाव किये गये हैं, उसमें लाभ में हिस्सेदारी के अनुपात में बदलाव शामिल है।

एसोसिएशन ने संशोधन को तुरंत वापस लेने और जो बोली प्रक्रिया शुरू हुई है, उसे अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचाने का आग्रह किया है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर


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