भारतनेट के तहत दिए गए ठेकों के खिलाफ याचिका, न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब

भारतनेट के तहत दिए गए ठेकों के खिलाफ याचिका, न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब

भारतनेट के तहत दिए गए ठेकों के खिलाफ याचिका, न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब
Modified Date: November 29, 2022 / 07:54 pm IST
Published Date: December 18, 2020 12:11 pm IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतनेट परियोजना के तहत देश भर के गांवों में वाईफाई एक्सेस प्वाइंट लगाने का ठेका कॉमन सर्विस सेंटर ई-गवर्नेंस सर्विसेज लिमिटेड (सीएससी) को निविदा प्रक्रिया का पालन किए बिना देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और केंद्रीय सतर्कता आयोग से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने संचार तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सीवीसी, सीएससी और भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) को नोटिस जारी किया और स्वयंसेवी संगठन टेलीकॉम वॉचडॉग की याचिका पर उनसे अपना पक्ष रखने को कहा।

एनजीओ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि सीएससी एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई कंपनी (एसपीवी) है। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत ई-प्रशासन सेवाएं देने के लिए बनाया था।

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अधिवक्ता प्रणव सचदेवा और जतिन भारद्वाज के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि सीएससी एसपीवी एक निजी कंपनी है, लेकिन कथित तौर पर नामांकन के आधार पर अनुबंध पाने के लिए उसने खुद को सरकारी संस्था के रूप में पेश किया।

एनजीओ ने आगे आरोप लगाया है कि सरकार से अनुबंध पाने के बाद सीएससी एसपीवी ने इसे अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी सीएससी वाईफाई चौपाल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया, जिसने उसके बाद विभिन्न निजी कंपनियों के साथ बिना किसी निविदा के अनुबंध किए।

भाषा पाण्डेय मनोहर

मनोहर


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