कोविड-19 से प्रभावित इवेंट मैनेजमेंट उद्योग की प्रधानमंत्री से मदद की गुहार

कोविड-19 से प्रभावित इवेंट मैनेजमेंट उद्योग की प्रधानमंत्री से मदद की गुहार

कोविड-19 से प्रभावित इवेंट मैनेजमेंट उद्योग की प्रधानमंत्री से मदद की गुहार
Modified Date: November 29, 2022 / 08:01 pm IST
Published Date: June 2, 2021 1:29 pm IST

मुंबई दो जून (भाषा) विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करने वाले ‘इवेंट एंड एंटरटेनमेंट मेनेजमेंट एसोसियेशन (ईईएमए) ने उद्योग की सहायता के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर हस्तक्षेप की मांग की है। संगठन का कहना है कि कोविड-19 के कारण उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

संघ ने कहा है कि उसके 97 प्रतिशत सदस्य महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें कारोबार जारी रखने के लिए पूंजी या कर्ज की बहुत जरूरत है।

ईईएमए ने कहा कि उसने 27 मई को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की हैं। इसमें कहा गया है कि कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते पिछले एक साल से कार्यक्रम आयोजन से जुड़े इस उद्योग की कोई आय नहीं हुई हैं।

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ईईएमए के अध्यक्ष रोशन अब्बास ने पीटीआई-भाषा से बुधवार को कहा, ‘‘अप्रैल-अक्टूबर 2020 के दौरान हमारा काम पूरी तरह से बंद रहा और पिछले वर्ष नवम्बर से कुछ काम शुरू हुआ। लेकिन फरवरी 2021 के आते-आते हम एक बार फिर उसी स्थिति में पहुंच गए।’’

उन्होंने कहा कि संघ के एक हजार से अधिक पंजीकृत सदस्य हैं, जिन्होंने पिछले अप्रैल से अपने कर्मचारियों की 50 से 80 प्रतिशत छंटनी की है।

संगठन ने कहा, ‘‘सभी बड़े कार्यक्रम अनिश्चित समय के लिए स्थगित या रद्द कर दिये गए हैं। इससे उद्योग की आय का 100 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। उद्योग से जुड़े एक करोड़ कर्मचारियों में 90 प्रतिशत दैनिक कर्मी है। कुल मिलाकर सभी कर्मचारी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।’’

उद्योग निकाय ने सरकार से ईईएमए से जुड़े सदस्यों के सभी कर्मचारियों को एक वर्ष के वेतन का 50 प्रतिशत देने के साथ-साथ एक वर्ष के लिए सभी वैधानिक देनदारियों को स्थगित करने का आग्रह किया है। इसके अलावा अगले तीन वर्ष तक जीएसटी रिफंड, ऋण और ओवरड्राफ्ट पर दो साल की मोहलत और पूंजी ऋण की उपलब्धता को आसान बनाना तथा एक वर्ष के लिए ब्याज माफी समेत अन्य कई मांगे रखी है।

कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करने वाले इस उद्योग का कारोबार वित्त वर्ष 2020 में लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का था। कोविड महामारी से पहले एक करोड़ से अधिक लोगों को इसके जरिये रोजगार मिलता था, जिनमें से लगभग 90 प्रतिशत प्रवासी थे।

भाषा जतिन महाबीर

महाबीर


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