सीपीएआई ने सरकार से जिंस लेनदेन कर को तार्किंक बनाने का आग्रह किया

सीपीएआई ने सरकार से जिंस लेनदेन कर को तार्किंक बनाने का आग्रह किया

सीपीएआई ने सरकार से जिंस लेनदेन कर को तार्किंक बनाने का आग्रह किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:16 pm IST
Published Date: January 13, 2021 6:53 am IST

नयी दिल्ली, 13 जनवरी (भाषा) कमोडिटी पोर्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीपीएआई) ने सरकार से जिंस लेनदेन कर को तर्कसंगत बनाने का अनुरोध किया है। सीपीएआई ने कहा है कि इससे जिस कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

वित्त मंत्रालय को दिए ज्ञापन में सीपीएआई ने जिंस लेनदेन कर (सीटीटी) का भुगतान धारा 88 ई के तहत दिखाने का प्रस्ताव करते हुए कहा है कि इसे खर्च के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए।

सीपीएआई के अध्यक्ष नरेंद्र वाधवा ने बुधवार कहा, ‘‘हमने सरकार को प्रस्ताव दिया है। इसमें कहा गया है कि सीटीटी को या तो पूरी तरह हटा दिया जाए या इसे आयकर कानून की धारा 88ई के तहत भुगतान किए गए कर के रूप में लिया जाए, खर्च के रूप में नहीं। इससे हम एक बार फिर पूर्व के वर्षों की तरह ऊंचा कारोबार हासिल कर पाएंगे।’’

 ⁠

उन्होंने कहा कि यह सभी के लिए लाभ की स्थिति होगी। सरकार को ऊंचा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और अन्य राजस्व मिलेगा और हेजिंग विदेश के बजाय भारतीय एक्सचेंजों पर हो सकेगी, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। वाधवा ने कहा कि इससे वित्तीय क्षेत्र में रोजगार का भी सृजन होगा और भारत मूल्य तय करने वाला बन सकेगा।

सीपीएआई जिंस एक्सचेंज और जिंस डेरिवेटिव खंड में भागीदारों का अखिल भारतीय स्तर का संघ है।

भाषा अजय अजय

अजय


लेखक के बारे में