गांवों में बैंक सेवाएं पहुंचाने को डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियों का होगा उपयोग: सहकारिता सचिव |

गांवों में बैंक सेवाएं पहुंचाने को डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियों का होगा उपयोग: सहकारिता सचिव

गांवों में बैंक सेवाएं पहुंचाने को डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियों का होगा उपयोग: सहकारिता सचिव

:   Modified Date:  May 29, 2024 / 06:23 PM IST, Published Date : May 29, 2024/6:23 pm IST

नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए बैंक प्रतिनिधियों के रूप में डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को शामिल करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है। बुधवार को एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।

सहकारिता मंत्रालय के सचिव आशीष कुमार भूटानी ने कहा कि कार्यक्रम डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के मौजूदा नेटवर्क का लाभ उठाकर माइक्रो-एटीएम और कम ब्याज वाले कृषि ऋण जैसी सेवाएं प्रदान करके ‘बैंक मित्र’ या बैंक एजेंट के रूप में कार्य करेगा।

भूटानी ने यहां उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक सहकारी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘गुजरात में राज्य स्तर पर प्रायोगिक परियोजना शुरू की गयी है। हमारी जल्द ही इसे राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करने की योजना है।’’

सरकारी सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत, इन सहकारी समितियों को जिला और राज्य सहकारी बैंकों के बैंक प्रतिनिधियों के रूप में शामिल किया जाएगा।

बिना शाखा के बैंक सेवाओं की डिलिवरी के लिए, सहकारी समितियों को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से माइक्रो-एटीएम प्रदान किए जाएंगे। नाबार्ड ग्रामीण भारत के विकास के लिए काम करता है।

सहकारी सदस्यों को किसान क्रेडिट कार्ड भी जारी किए जाएंगे, जो आम तौर पर कम ब्याज दरों पर कृषि ऋण प्रदान करते हैं।

भूटानी ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने भारत के सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने और बढ़ावा देने के लिए अपने गठन के बाद से पिछले ढाई वर्षों में 54 उपाय शुरू किए हैं, जिसमें जमीनी स्तर की प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को कई गतिविधियां करने की अनुमति देना शामिल है।

शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार ने सहकारी समितियों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों का उपयोग करने में मदद करने के लिए निर्यात, बीज उत्पादन और जैविक उपज को बढ़ावा देने के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियों की भी शुरुआत की है।

भाषा राजेश राजेश रमण

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