EPFO Rule: क्या रिटायरमेंट पर मोटा फंड चाहिए? PF की ये छुपी हुई सेटिंग बदल देगी खेल! बस जानना पड़ेगा ये ट्रिक
आप चाहें तो 12% से ज्यादा PF कटवा सकते हैं, इसे स्वैच्छिक योगदान कहते हैं। कंपनी अपना हिस्सा नहीं बढ़ाती। असली सैलरी पर PF कटवाने के लिए कमिश्नर की अनुमति चाहिए। इससे आप रिटायरमेंट फंड तेजी से बढ़ा सकते हैं।
(EPFO Rule/ Image Credit: ANI News)
- कर्मचारी 12% से ज्यादा PF राशि स्वैच्छिक योगदान (VPF) के रूप में जमा कर सकता है।
- कंपनी अपना PF हिस्सा 12% से ऊपर नहीं बढ़ाती।
- सामान्य PF कटौती 15,000 रुपये की वेज सीलिंग पर आधारित होती है।
नई दिल्ली: EPFO Rule: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की स्कीम सिर्फ एक सामान्य बचत योजना नहीं, बल्कि रिटायरमेंट के समय आर्थिक सुरक्षा का भरोसेमंद आधार है। कई कर्मचारी नहीं जानते कि तय सीमा के भीतर रहते हुए वे इसमें अतिरिक्त धन भी जमा कर सकते हैं। EPFO ने इस भ्रम को दूर करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसलिए अगर आप रिटायरमेंट फंड को तेजी से बढ़ाना चाहते हैं, तो योगदान से जुड़े इन नियमों को समझना बेहद महत्वपूर्ण है।
क्या 12% की सीमा बढ़ाई जा सकती है?
अधिकतर कर्मचारियों को लगता है कि EPF में सैलरी का 12% कटना एक स्थायी नियम है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। EPFO के अनुसार कोई भी कर्मचारी ‘स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF)’ के तहत अपनी इच्छा से 12% से अधिक राशि जमा कर सकता है। अतिरिक्त जमा राशि पर भी वही कंपाउंडिंग ब्याज मिलता है, जिससे आपकी दीर्घकालिक बचत काफी तेजी से बढ़ती है।
नियोक्ता का योगदान तय
यह समझना जरूरी है कि कर्मचारी चाहे जितना अतिरिक्त योगदान करे, नियोक्ता को अपना हिस्सा 12% से अधिक देने की बाध्यता नहीं है। यानी अतिरिक्त पैसा पूरी तरह आपकी सैलरी से कटेगा, कंपनी की तरफ से कोई अतिरिक्त मैचिंग योगदान नहीं मिलेगा। साथ ही सामान्य PF कटौती 15,000 रुपये के वेतन आधार पर तय होती है। अगर आपकी आय इससे अधिक है और आप वास्तविक सैलरी पर PF कटवाना चाहते हैं, तो इसके लिए अलग प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।
ऊंची सैलरी पर PF कटवाने की विशेष अनुमति
जो कर्मचारी 15,000 रुपये से अधिक सैलरी पाते हैं और चाहते हैं कि PF उनकी पूरी सैलरी के आधार पर कटे, उन्हें EPF स्कीम के पैरा 26(6) के तहत अनुमति लेनी होती है। इसके लिए असिस्टेंट प्रोविडेंट फंड कमिश्नर (APFC) या रीजनल प्रोविडेंट फंड कमिश्नर (RPFC) की मंजूरी जरूरी है। अनुमति मिलने के बाद ही वास्तविक सैलरी पर PF योगदान शुरू किया जा सकता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि रिकॉर्ड पारदर्शी रहे और भविष्य में निकासी या दावे के समय कोई समस्या न आए।
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