अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट | Economy declines by 7.3 per cent in FY 2020-21

अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट

अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : May 31, 2021/3:06 pm IST

नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) देश की अर्थव्यवस्था में 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है जो गिरावट के बारे में पहले के विभिन्न अनुमानों से कम है। इसका कारण कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से ठीक पहले चौथी तिमाही में वृद्धि दर का कुछ बेहतर रहना है।

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 1.6 प्रतिशत रही। यह इससे पिछली तिमाही अक्टूबर-दिसंबर, 2020 में 0.5 प्रतिशत से अधिक है।

वित्त वर्ष 2019-20 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

पिछले साल की महामारी से पहले से नरमी का सामना कर रही अर्थव्यवस्था में 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये लगाये गये देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ से खपत और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा था।

यह 1979-80 यानी चार दशक में पहली बार है जब किसी वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आयी है। इससे पहले 1979-80 में जीडीपी में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

वित्त वर्ष 2019-20 में अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

जीडीपी वृद्धि दर 2016-17 में 8.3 प्रतिशत थी जो अगले वित्त वर्ष में घटकर 7 प्रतिशत और फिर 2018-19 में 6.1 प्रतिशत रही।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार देश का वास्तविक जीडीपी 2020-21 में घटकर 135 लाख करोड़ रुपये रहा जो मार्च 2020 को समाप्त वित्त वर्ष में 145 लाख करोड़ रुपये था।

अर्थव्यवस्था को 145 लाख करोड़ रुपये का स्तर प्राप्त करने के लिये 2021-22 में 10 से 11 प्रतिशत वृद्धि की जरूरत होगी। लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है। इसको देखते हुए कई विशेषज्ञों ने अनुमान जताया कि तुलनात्मक आधार कमजोर रहने के बावजूद जीडीपी वृद्धि दर दहाई अंक में नहीं पहुंचेगी।

हालांकि दैनिक आधार पर कोविड-19 मामलों की संख्या घटकर 1.5 लाख के करीब आ गयी जो एक समय 4 लाख से अधिक पहुंच गयी थी। लेकिन अर्थव्यवस्था में 55 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली उपभोक्ता मांग में गिरावट और बेरोजगारी दर बढ़कर एक साल के उच्चतम स्तर 14.73 प्रतिशत पर पहुंचने से नई चुनौतियां सामने आयी हैं।

विश्लेषकों ने आगाह किया है कि टीकाकरण कार्यक्रम की धीमी गति से वृद्धि को जोखिम है।

एनएसओ ने पूर्व में 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 8 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया था जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 7.5 प्रतिशत की कमी की आशंका जतायी थी।

एक समय कोरोना वायरस संक्रमण का मुख्य केंद्र रहा चीन में वृद्धि दर जनवरी-मार्च, 2021 में 18.3 प्रतिशत रही।

इस बीच, उच्च कर संग्रह से राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.3 प्रतिशत रहा जो 9.5 प्रतिशत के संशोधित अनुमान से कम है। हालांकि फरवरी 2020 में पेश बजट के दौरान इसके 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।

अर्थव्यवस्था में 2020 की अप्रैल-जून तिमाही में रिकार्ड 24.4 प्रतिशत और अगली तिमाही जुलाई-सितंबर में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी।

उल्लेखानीय है कि सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये 25, मार्च 2020 से देश भर में ‘लॉकडाउन’ लगाया था। इसमें बाद में चरणबद्ध तरीके से ढील दी गयी। लेकिन इसका अंतत: आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

एनएसओ के आंकड़े के अनुसार 2020-21 की चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 4.2 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

कृषि क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर कम होकर 3.1 प्रतिशत रही जो 2019-20 की इसी तिमाही में 6.8 प्रतिशत थी।

निर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि 14.5 प्रतिशत रहा जबकि एक साल पहले यह 0.7 प्रतिशत थी। खनन क्षेत्र में 5.7 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले यह 0.9 प्रतिशत घटा था।

बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाओं की वृद्धि दर 2020-21 की चौथी तिमाही में 9.1 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

इसी प्रकार, व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में आलोच्य तिमाही में 2.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर 2020-21 की चौथी तिमाही में 5.4 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.9 प्रतिशत थी।

लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर चौथी तिमाही में घटकर 2.3 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में 9.6 प्रतिशत थी।

एनएसओ के बयान के अनुसार, ‘‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2020-21 की चौथी तिमाही में 1.6 प्रतिशत बढ़कर 38.96 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2019-20 की चौथी तिमाही में 38.33 लाख करोड़ रुपये था। ’’

स्थिर मूल्य (20211-12) पर वास्तविक जीडीपी या सकल घरेलू उत्पाद 2020-21 में अब 135.13 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। जबकि 29 जनवरी 2021 को 2019-20 के लिये जारी पहले संशोधित अनुमान में इसके 145.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था।

एनएसओ के अनुसार, ‘‘वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है जबकि 2019-20 में इसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।’’

बयान में कहा गया है कि सरकार ने महामारी की रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ जो कदम उठाये हैं, उसका आर्थिक गतिविधियों के साथ ही आंकड़ा संग्रह व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा है।

बयान के अनुसार कुछ स्रोत एजेंसियों से आंकड़ा प्रवाह में व्यवधान आया है। इससे आंकड़ा संकलन को लेकर मसले उत्पन्न हुए हैं।

अभूतपूर्व स्थिति के कारण आंकड़ों को लेकर उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए, एनएसओ ने मौजूदा आर्थिक स्थिति के आकलन को लेकर वैकल्पिक आंकड़ा स्रोतों, संकेतकों और कार्यप्रणाली की संभावना टटोली। इसके साथ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी स्पष्टीकरण लिये गये। इसका मकसद आंकड़ों को लेकर सर्वोत्तम गतिविधियों को चयन करना है।

एनएसओ के अनुसार इसीलिए जो अनुमान है, उसमें तीव्र संशोधन हो सकते हैं। उपयोगकर्ताओं को आंकड़ों का विश्लेषण करते समय इसे ध्यान में रखना चाहिए।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर

 

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