नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) दिल्ली बाजार में बुधवार को तेल तिलहन कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। सस्ते आयातित खाद्यतेलों से किसानों की उच्च लागत वाली सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल जैसे देशी तेल-तिलहनों पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित खाद्यतेलों के कहर के कारण सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल की कीमतों में गिरावट रही। तेल मिलें, किसान अपने तिलहन न खपने की चोट से गहरे आहत हैं।
सूत्रों ने कहा कि आखिर सरकार कितना सस्ता खाद्यतेल बिकवाना चाहती है ? जब बंदरगाहों पर आयातित खाद्य तेलों के दाम टूटे पड़े हैं तो फिर उसे तेल कंपनियों और पैकरों को अपना अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) कम करने के लिए बार बार क्यों कहना पड़ रहा है।
यह दिखाता है कि उपभोक्ताओं को यही सस्ता तेल, खुदरा बाजार में सस्ते में उपलब्ध नहीं हो रहा। इस सस्तेपन के पीछे एक और गंभीर बात हो रही है कि देशी खाद्यतेल पेराई मिलें और तिलहन किसान बर्बाद होने की ओर बढ़ रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खासकर ब्राजील, अर्जेन्टीना जैसी अन्य जगहों पर तिलहन की भारी पैदावार है और सस्ते का यह दौर आगे भी जारी रहने की पूरी संभावना है, ऐसे में क्या देश आयात पर निर्भर होने का खतरा मोल ले सकता है ? देश को पहले अपने किसानों, तेल उद्योग और उपभोक्ताओं के हितों को सर्वोपरी रखकर इन हितों के बीच सामंजस्य बिठाना चाहिये।
सूत्रों ने बताया कि मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज में मिला जुला रुख है पर रात में शिकॉगो एक्सचेंज 3.25 प्रतिशत टूटा था।
उन्होंने कि आज सूरजमुखी तेल का भाव सोयाबीन से 50 डॉलर प्रति टन नीचे हो गया है। सोयाबीन का बंदरगाह पर भाव 970 डॉलर प्रति टन है जबकि सूरजमुखी का भाव 920 डॉलर प्रति टन है।
सूत्रों ने कहा कि लगभग दो साल पहले जब सूरजमुखी तेल का भाव 1,200 डॉलर प्रति टन था तो उस वक्त आयात शुल्क 38.5 प्रतिशत था। लेकिन बद में यह दाम बढ़कर जब 2,500 डॉलर हुआ तो आयात शुल्क घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया गया। अब जबकि सूरजमुखी तेल का भाव भारी गिरावट के साथ 920 डॉलर रह गया है तो भी आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत ही बना हुआ है। उन्होंने कहा कि चाहे अनचाहे मौजूदा सस्ते आयातित तेल, देश के तेल मिलों और किसानों के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुके हैं।
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल, मई के महीने में सूरजमुखी तेल से सरसों तेल 40 रुपये किलो नीचे था और इस बार सरसों तेल का भाव सूरजमुखी तेल से 15-20 रुपये किलो ऊंचा बैठ रहा है। फिर सरसों कैसे खपेगा ?
सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र के अकोला में बिनौला तेल मंगलवार के 81.50 रुपये किलो के भाव के मुकाबले आज 80 रुपये किलो बिका है। बिनौला तेल का भाव, सीपीओ से 7-8 रुपये किलो नीचे हो गया है। यह पूरे देशी तेल उद्योग की दुर्दशा को दर्शाने के लिए काफी है।
बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 4,865-4,965 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,425-6,485 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,100 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,415-2,680 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,595-1,675 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,595-1,705 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,450 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,350 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,6 00 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,090-5,165 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,865-4,945 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण
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