एथनॉल मिश्रित पेट्रोल से वाहनों का माइलेज घटने की आशंका निराधारः पेट्रोलियम मंत्रालय

एथनॉल मिश्रित पेट्रोल से वाहनों का माइलेज घटने की आशंका निराधारः पेट्रोलियम मंत्रालय

एथनॉल मिश्रित पेट्रोल से वाहनों का माइलेज घटने की आशंका निराधारः पेट्रोलियम मंत्रालय
Modified Date: August 12, 2025 / 08:28 pm IST
Published Date: August 12, 2025 8:28 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण वाले ईंधन ‘ई-20’ के इस्तेमाल से वाहनों का माइलेज घटने की चर्चाओं के बीच पेट्रोलियम मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि ईंधन दक्षता में भारी गिरावट आने की आशंकाएं निराधार हैं और इस ईंधन से वाहन बेहतर प्रदर्शन भी देता है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गन्ना या मक्का से निकाले गए 20 प्रतिशत एथनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल के मिश्रण का राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रदूषण कम करने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से है, जिसे कुछ लोग गलत सूचना फैलाकर पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ई-20 ईंधन के इस्तेमाल से वाहनों के बीमा की वैधता पर भी कोई असर नहीं पड़ता है और कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में इस संबंध में फैलाया गया डर बेबुनियाद है।

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पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में ई-20 ईंधन को लेकर गंभीर आशंकाएं जताई गई हैं। कुछ लोगों ने कहा है कि इसके इस्तेमाल से वाहन के माइलेज में करीब सात प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि कुछ लोगों ने इससे ई-10 वाहनों में रबर, धातु कलपुर्जों के जल्द खराब होने की आशंका जताई है।

मंत्रालय ने कहा, ‘यह कहना कि ई20 ईंधन से वाहन की दक्षता में ‘भारी’ कमी आती है, गलत है।’

हालांकि मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि ईंधन दक्षता में कितने प्रतिशत की गिरावट आती है।

मंत्रालय ने चार अगस्त को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘पेट्रोल की तुलना में कम ऊर्जा घनत्व होने के कारण एथेनॉल से माइलेज में मामूली कमी आती है। ई-10 के अनुकूल निर्मित एवं ई-20 के लिए समायोजित चार पहिया वाहनों के लिए यह अनुमान एक से दो प्रतिशत है जबकि अन्य वाहनों के लिए लगभग तीन से छह प्रतिशत का अनुमान है।’

पेट्रोलियम मंत्रालय ने मंगलवार को अपने बयान में कहा कि वाहनों की माइलेज केवल ईंधन पर नहीं बल्कि ड्राइविंग आदत, रखरखाव, टायरों में हवा के दबाव और अन्य कारकों पर भी निर्भर करती है। ई-20 अनुकूल कई वाहन 2009 से ही बाजार में हैं।

बयान के मुताबिक, ई-10 ईंधन के मुकाबले ई-20 ईंधन से कार्बन उत्सर्जन लगभग 30 प्रतिशत घटता है। साथ ही, एथनॉल का ऑक्टेन नंबर अधिक होने से शहरों में ड्राइविंग के दौरान बेहतर पिकअप भी मिलता है।

मंत्रालय के अनुसार, पिछले 11 साल में पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण से 1.44 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाने, 245 लाख टन कच्चे तेल का विकल्प और 736 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है।

चालू वित्त वर्ष में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण से किसानों को लगभग 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान और करीब 43,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत का अनुमान है।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण


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