जीएम-मुक्त गठबंधन ने जीन-संवर्धित चावल किस्में जारी करने की आलोचना की
जीएम-मुक्त गठबंधन ने जीन-संवर्धित चावल किस्में जारी करने की आलोचना की
नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) जीएम-मुक्त भारत के लिए प्रयासरत गठबंधन ने चावल की जीनोम-संवर्धित दो किस्में जारी करने के लिए सोमवार को सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम कॉरपोरेट जगत के दबाव में उठाया गया है।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को जीनोम-संवर्धित चावल की किस्मों- डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी चावल-1 का अनावरण किया। इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और चावल की उपज 30 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए विकसित किया है।
गठबंधन ने एक बयान में कहा, ‘‘यह चौंकाने वाला है कि भारत सरकार कॉरपोरेट जगत के दबाव में गैरकानूनी काम कर रही है। जीन में संशोधन की तकनीकों को लेकर सुरक्षा के अभाव की ओर इशारा करने वाले तमाम वैज्ञानिक साहित्य मौजूद हैं।’’
समूह ने चेतावनी दी कि जीन-संवर्धित चावल की ये किस्में भारत के विविध चावल जीन भंडार को खतरे में डालती हैं। उसने कहा कि भारत की आनुवंशिक इंजीनियरिंग की वैधानिक परिभाषा के तहत जीन में संपादन करना आनुवंशिक संशोधन के दायरे में आता है।
गठबंधन ने सरकार द्वारा एसडीएन-1 और एसडीएन-2 जीन संवर्धन तकनीकों के विनियमन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इन धान किस्मों को ‘‘बिना किसी सुरक्षा परीक्षण के’’ जारी किया गया है।
गठबंधन ने कहा, ‘‘हम इसका विरोध करते हैं और सरकार को चेतावनी देते हैं कि इसके खिलाफ कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा।’’
इसने बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के मुद्दों वाली प्रौद्योगिकियों को पेश करके किसानों की बीज संप्रभुता से ‘समझौता’ करने के लिए सरकार की आलोचना की और जारी की गई किस्मों पर आईपीआर के बारे में तत्काल पारदर्शिता की मांग की।
गठबंधन ने सरकार से इन किस्मों पर किए गए सुरक्षा परीक्षणों का विवरण साझा करने और यह साबित करने की मांग की कि जनहित और देशी जर्मप्लाज्म के साथ ‘‘गैर-जिम्मेदाराना, अपूरणीय रूप से समझौता नहीं किया गया है।’’
गठबंधन ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि यहां जो कुछ किया गया है, वह जुलाई 2024 में आए उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है और उसकी अवमानना के बराबर है।’’
उसने सरकार से इन फसलों को जारी करने से रोकने की मांग की।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
प्रेम

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