कर विशेषज्ञों की राय, केयर्न के शेयर बेचना सरकार का बुरा फैसला |

कर विशेषज्ञों की राय, केयर्न के शेयर बेचना सरकार का बुरा फैसला

कर विशेषज्ञों की राय, केयर्न के शेयर बेचना सरकार का बुरा फैसला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : August 8, 2021/3:15 pm IST

(अम्मार जैदी)

नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) पाकिस्तान और वेनेजुएला की तरह दुनिया के अन्य देशों में अपनी संपत्तियां जब्त होने की आशंका के बीच सरकार ने पिछली तिथि से कराधान को समाप्त करने का फैसला किया है।

पूर्व में अलग-अलग मामलों में पाकिस्तान और वेनेजुएला को ऐसी ही कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।

कर और विधि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार ने ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी के कुर्क शेयरों को नहीं बेचा होता, तो वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी से बच सकती थी।

सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद में विधेयक पेश कर पिछली तिथि से कराधान को समाप्त करने का फैसला किया है। इस नियम के तहत कर विभाग के पास 50 साल पहले तक के ऐसे मामलों में पूंजीगत लाभ कर लगाने का अधिकार है जिसमें स्वामित्व तो विदेशी हाथों में चला गया है, लकिन कारोबारी संपत्तियां भारत में ही हैं।

वर्ष 2012 के इस कानून का इस्तेमाल कर 17 इकाइयों से 1.10 लाख करोड़ रुपये की कर मांग की गई। इनमें ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडोफान भी शामिल है। लेकिन सरकार की ओर से सबसे अधिक दंडात्मक कार्रवाई केयर्न के मामले में की गई।

आयकर विभाग ने न केवल पूर्ववर्ती भारतीय अनुषंगी में केयर्न की करीब 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची, बल्कि उसका 1,140 करोड़ रुपये का लाभांश भी जब्त किया तथा 1,590 करोड़ रुपये का कर रिफंड रोक दिया।

आयकर विभाग द्वारा जनवरी, 2014 में केयर्न एनर्जी से 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग के तुरंत बाद केयर्न इंडिया में कंपनी के शेयर (नया नाम वेदांता लिमिटेड) कुर्क कर लिए गए।

एक कर विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘इनमें से ज्यादातर शेयर मार्च, 2015 में औपचारिक कर मांग के दो साल के भीतर बेच दिए गए।’’

कर विभाग का कहना था कि केयर्न ने अपनी शेष हिस्सेदारी की बिक्री की प्रक्रिया 2014 में शुरू की थी और कंपनी उसके बाद देश छोड़कर जा सकती थी।

कर विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘एक बात को नजरअंदाज किया गया कि केयर्न ये शेयर नहीं बेच सकती थी क्योंकि कर विभाग ने इन्हें पहले ही कुर्क कर लिया था। इस मामले के अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने तक ये विभाग के पास ही रहते।’

उन्होंने कहा कि दिसंबर, 2020 में अंतरराष्ट्रीय पंचाट के फैसले के बाद सरकार को सिर्फ ये शेयर जारी करने की जरूरत थी, जिससे यह मामला यहीं समाप्त हो जाता।

इस बारे में वित्त मंत्रालय और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भेजे ई-मेल का जवाब नहीं मिला। एक अन्य विधि विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘कोई भी फैसला सही और गलत नहीं होता। फैसला अच्छा या बुरा होता है। शेयर बेचने का फैसला बुरा था।’’

पिछली तिथि से कराधान समाप्त करने संबंधी नए विधेयक को शुक्रवार को लोकसभा में मंजूरी मिल गई। अब इसे राज्यसभा में रखा जाएगा।

पीएचडीसीसीआई की प्रत्यक्ष कर समिति के प्रमुख मुकुल बागला ने कहा, ‘‘पंचाट फैसला हारने के बाद यदि भारत इस तरह का संशोधन करता, तो वैश्विक स्तर पर भारत सरकार की मंशा की सराहना होती। यह देर आयद, दुरुस्त आयद की स्थिति है। इस विधेयक से एक पक्षपात रहित और समानता वाले कराधान राष्ट्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा निश्चित रूप से सुधरेगी।’’

डेलॉयट इंडिया के प्रबंधकीय भागीदार (कर) विपुल झावेरी ने कहा कि पिछली तिथि से कराधान को समाप्त करने से लंबे समय से लंबित मामले समाप्त हो सकेंगे।

जे सागर एसोसिएट्स के भागीदार कुमारमंगलम विजय ने कहा कि यह एक प्रगतिशील कदम है। इससे वोडाफोन और केयर्न जैसे मामलों को समाप्त करने में मदद मिलेगी।

भाषा अजय अजय प्रणव

प्रणव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)