ई-रिक्शा के लिए भी भारत-एनकैप जैसा सुरक्षा मानक लाने पर विचारः गडकरी

ई-रिक्शा के लिए भी भारत-एनकैप जैसा सुरक्षा मानक लाने पर विचारः गडकरी

ई-रिक्शा के लिए भी भारत-एनकैप जैसा सुरक्षा मानक लाने पर विचारः गडकरी
Modified Date: September 4, 2025 / 06:12 pm IST
Published Date: September 4, 2025 6:12 pm IST

नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहसपतिवार को कहा कि सरकार देश में सड़क सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए ई-रिक्शा के लिए भी ‘भारत एनकैप’ की तर्ज पर सुरक्षा मानक लाने पर विचार कर रही है।

गडकरी ने फिक्की सड़क सुरक्षा पुरस्कार एवं संगोष्ठी के सातवें संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि सड़क सुरक्षा सरकार के लिए एक अहम मुद्दा है।

उन्होंने कहा, ‘देश में हर साल करीब पांच लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें 1.8 लाख लोगों की जान जाती है। इनमें से 66.4 प्रतिशत मौतें 18 से 45 वर्ष की उम्र वाले लोगों की होती हैं।’

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उन्होंने सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने के लिए सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने और घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया।

गडकरी ने इस प्रयास में ई-रिक्शा को सुरक्षित बनाने को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, ‘‘ई-रिक्शा की संख्या देश में बहुत अधिक है। हम देख रहे हैं कि किस तरह इनके लिए सुरक्षा मानकों में सुधार किया जा सकता है। हम ई-रिक्शा के लिए भी भारत-एनकैप जैसे सुरक्षा मानक लाने जा रहे हैं।’’

उन्होंने चार-पहिया वाहनों के लिए सुरक्षा मानकों को बेहतर करने के इरादे से वर्ष 2023 में ‘भारत-एनकैप’ सुरक्षा मानक की शुरुआत की थी।

उन्होंने सड़क हादसों का जिक्र करते हुए कहा कि हेलमेट न पहनने से करीब 30,000 और सीट बेल्ट न लगाने से 16,000 मौतें होती हैं। सड़क हादसों से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब तीन प्रतिशत नुकसान हो जाता है।

गडकरी ने बताया कि देशभर में विभिन्न स्थानों पर होने वाली दुर्घटनाओं के कारणों का पता लगाने के लिए सुरक्षा ऑडिट कराए गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘सड़क दुर्घटना एक सामाजिक समस्या है। मैं यह स्वीकार करता हूं कि अन्य क्षेत्रों में हमें जैसी सफलता मिली है, वैसी कामयाबी हमें इस मामले में नहीं मिल पाई है।’

मंत्री ने आम लोगों से अपील की कि सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं, क्योंकि समय पर इलाज से लगभग 50,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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