सरकार ने विपणन वर्ष 2024-25 में खरीफ चावल खरीद लक्ष्य पांच प्रतिशत बढ़ाकर 485 लाख टन तय किया

सरकार ने विपणन वर्ष 2024-25 में खरीफ चावल खरीद लक्ष्य पांच प्रतिशत बढ़ाकर 485 लाख टन तय किया

सरकार ने विपणन वर्ष 2024-25 में खरीफ चावल खरीद लक्ष्य पांच प्रतिशत बढ़ाकर 485 लाख टन तय किया
Modified Date: August 30, 2024 / 07:44 pm IST
Published Date: August 30, 2024 7:44 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा) केंद्र ने अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ चावल खरीद का लक्ष्य पांच प्रतिशत बढ़ाकर 485 लाख टन तय किया है और राज्यों से मोटे अनाज की खरीद बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है।

चालू विपणन वर्ष 2023-24 (अक्टूबर-सितंबर) में सरकार ने 463 लाख टन खरीफ चावल की खरीद की है।

धान की पैदावार खरीफ और रबी दोनों मौसमों में की जाती है। सरकारी स्वामित्व वाला भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खाद्यान्नों की खरीद और वितरण के लिए सरकार की मुख्य एजेंसी है।

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एक सरकारी बयान में कहा गया है कि केंद्रीय खाद्य सचिव ने शुक्रवार को राज्य खाद्य सचिवों और एफसीआई के साथ ‘‘आगामी खरीफ विपणन सत्र 2024-25 में फसलों की खरीद की व्यवस्था पर चर्चा’’ के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक के दौरान मौसम पूर्वानुमान, उत्पादन अनुमान और खरीद कार्यों के लिए राज्यों की तत्परता जैसे खरीद को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों की समीक्षा की गई।

बयान में कहा गया है, ‘‘विचार-विमर्श के बाद, आगामी खरीफ विपणन सत्र 2024-25 के दौरान धान खरीद (खरीफ फसल) का अनुमान चावल के मामले में 485 लाख टन तय किया गया है, जबकि खरीफ विपणन सत्र 2023-24 के दौरान 463 लाख टन (खरीफ फसल) की खरीद हुई।’’

केंद्र ने खरीफ विपणन सत्र 2024-25 के दौरान 19 लाख टन खरीफ मोटे अनाज (श्री अन्ना) की खरीद का लक्ष्य भी रखा है। यह लक्ष्य खरीफ विपणन सत्र 2022-23 (खरीफ फसल) के दौरान 6.6 लाख टन की खरीद की तुलना में काफी अधिक है।

खाद्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को फसलों के विविधीकरण और आहार पद्धति में पोषण बढ़ाने के लिए मोटे अनाज की खरीद पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी गई।’’

बैठक में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिव एवं सचिव (खाद्य) के साथ-साथ एफसीआई, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और कृषि विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।

बयान में कहा गया है कि बैठक में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की कई मौजूदा पहल पर भी चर्चा की गई।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय


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