गोयल ने जापान, कोरिया के साथ कांग्रेस शासन में हुए एफटीए की आलोचना की

गोयल ने जापान, कोरिया के साथ कांग्रेस शासन में हुए एफटीए की आलोचना की

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  • Publish Date - October 17, 2025 / 07:08 PM IST,
    Updated On - October 17, 2025 / 07:08 PM IST

नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को जापान और दक्षिण कोरिया के साथ कांग्रेस के शासन काल में हुए व्यापार समझौतों की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि इन समझौतों से भारतीय निर्यात में कम वृद्धि हुई, जबकि आयात काफी बढ़ गया और अब व्यवसायों को इन देशों को निर्यात करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी) ब्लॉक के तहत व्यापार समझौता वार्ता में शामिल होने के पिछली कांग्रेस सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाया। आरसीईपी सदस्यों में 10 आसियान सदस्य (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) और उनके छह मुक्त व्यापार समझौता साझेदार ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।

गोयल ने कहा कि भारत ने स्वेच्छा से आरसीईपी में शामिल होने का फैसला किया था, जिसमें चीन भी शामिल था, और ”मैं अभी भी यह नहीं समझ पा रहा हूं कि हमने ऐसा क्यों चुना?” उन्होंने आगे कहा कि यह केवल भारत और चीन के बीच एक समझौता था।

वाणिज्य मंत्री ने कहा, ”हमारा आसियान के साथ पहले से ही एक समझौता था, जो निष्पक्षता और समानता के मामले में अपने आप में संदिग्ध है। हमारा जापान और कोरिया के साथ पहले से ही एक समझौता है और जो लोग जापान या कोरिया के साथ व्यापार कर रहे हैं, वे जानते हैं कि जब हमें जापान या कोरिया को निर्यात करना होता है तो हमारे उत्पादों को किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।”

उन्होंने कहा, ”एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) के बाद इन दोनों देशों को निर्यात में लगभग कोई वृद्धि नहीं हुई है। केवल आयात बढ़ा।”

दक्षिण कोरिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता जनवरी 2010 में लागू हुआ था, जबकि जापान के साथ अगस्त 2011 में यह लागू हुआ।

भारत ने 2019 में विशाल मुक्त व्यापार समझौते आरसीईपी में शामिल न होने का फैसला किया, क्योंकि यह समझौता उसकी चिंताओं का समाधान नहीं कर रहा था।

गोयल ने बताया कि 2004-05 और 2014-15 के बीच चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा दो अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 46-48 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। यानी 10 वर्षों में 26 गुना हो गया।

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, पिछली कांग्रेस सरकार आरसीईपी के माध्यम से मुक्त व्यापार समझौता करने पर विचार कर रही थी, जिसमें चीन प्रमुख भागीदार और लाभार्थी होता।

मंत्री ने कहा कि आरसीईपी लागू होने के बाद चीन से आसियान में आयात उल्लेखनीय रूप से बढ़ा, जबकि उनके निर्यात में नगण्य वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा, ”हमने घोषणा की थी कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा। इससे भारतीय उद्योग जगत को राहत मिली।”

भारत आसियान, कोरिया और जापान के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की समीक्षा कर रहा है।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण