जीएसटी परिषद जल्द ही दरों, स्लैब की संख्या पर फैसला लेगी: सीतारमण |

जीएसटी परिषद जल्द ही दरों, स्लैब की संख्या पर फैसला लेगी: सीतारमण

जीएसटी परिषद जल्द ही दरों, स्लैब की संख्या पर फैसला लेगी: सीतारमण

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Modified Date: February 4, 2025 / 05:37 PM IST
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Published Date: February 4, 2025 5:37 pm IST

(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी दरों एवं स्लैब की समीक्षा का काम लगभग पूरा हो चुका है और कर स्लैब एवं दरों में कटौती पर जल्द ही जीएसटी परिषद फैसला लेगी।

इस समय माल एवं सेवा कर (जीएसटी) एक चार-स्तरीय कर संरचना है, जिसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार स्लैब हैं।

विलासिता एवं नुकसानदेह वस्तुओं पर सबसे अधिक 28 प्रतिशत कर लगाया जाता है। दूसरी ओर पैकिंग वाले खाद्य पदार्थों और जरूरी वस्तुओं पर सबसे कम पांच प्रतिशत कर लागू है।

सीतारमण की अध्यक्षता में राज्यों के वित्त मंत्रियों की परिषद ने जीएसटी दरों में बदलाव के साथ ही स्लैब को कम करने का सुझाव देने के लिए मंत्री समूह (जीओएम) गठित किया है।

वित्त मंत्री ने बजट पर आयोजित इंडिया टुडे-बिजनेस टुडे के एक कार्यक्रम में कहा, ”जीएसटी दरों को युक्तिसंगत और सरल बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका है। वास्तव में, यह लगभग तीन साल पहले शुरू हुआ था।”

उन्होंने कहा कि बाद में इसका दायरा बढ़ाया गया और अब यह काम लगभग पूरा हो चुका है।

उन्होंने जीएसटी परिषद में शामिल मंत्रियों से कहा कि वे दरों पर अधिक गहराई से विचार करें, क्योंकि यह मुद्दा आम लोगों की जरूरतों से जुड़ा है।

सीतारमण ने कहा, ”मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अवसर न खोएं। हम दरों के स्लैब कम करने के साथ कम दरें भी चाहते थे। इसलिए इस दिशा में काम होना चाहिए और मुझे उम्मीद है कि जीएसटी परिषद जल्द ही इस पर फैसला करेगी।”

उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और कोई संरचनात्मक सुस्ती नहीं है।

सीतारमण ने कहा कि बजट में कर राहत की घोषणा करदाताओं के लिए प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके साथ ही उन्होंने इन अटकलों का खंडन भी किया कि यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी कर व्यवस्था को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

पूंजीगत व्यय से जुड़े एक सवाल पर मंत्री ने कहा कि पूंजीगत व्यय में कमी नहीं आई है बल्कि यह बढ़कर 11.21 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जो जीडीपी का 4.3 प्रतिशत है।

भाषा पाण्डेय प्रेम

प्रेम

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)