GST on UPI Payments: UPI से 2000 रुपए से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर लगेगा जीएसटी? आम जनता को झटका लगे इससे पहले PIB ने दी अहम जानकारी
GST on UPI Payments: UPI से 2000 रुपए से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर लगेगा जीएसटी? आम जनता को झटका लगे इससे पहले PIB ने दी अहम जानकारी
GST on UPI Payments: UPI से 2000 रुपए से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर लगेगा जीएसटी? Image Source: IBC24 Customized
- 2000 रुपए से ऊपर के UPI ट्रांजेक्शन पर GST लगाने का दावा पूरी तरह झूठा
- सरकार UPI को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रोत्साहन योजनाएं चला रही है
- भारत का UPI ग्लोबल रीयल-टाइम ट्रांजैक्शन में 49% हिस्सेदारी के साथ विश्व में अग्रणी है
नई दिल्ली: भारत का ऑनलाइन सिस्टम यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) दुनियाभर में अपना डंका बजा रहा है। UPI को जहां दुनिया के कई देशों ने अपनाया है तो कई देश इसकी तारीफ करते थक नहीं रहे हैं। भारत में रोजाना UPI का इस्तेमाल करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लेकिन इस बीच दावा किया जा रहा है कि UPI से 2000 रुपए से अधिक का पेमेंट करने पर जीएसटी लगाया जाएगा।
दरअसल कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार अब UPI ट्रांजेक्शन पर जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है। इतना ही नहीं कई लोगों ने तो ये भी दावा किया है कि 2000 रुपए से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर जीएसटी लगाया जाएगा और यूजर को एक्सट्रा चार्ज देना पड़ेगा। वहीं, इन वायरल दावों की जब पड़ताल की गई तो कुछ और निकलकर सामने आया है।
वायरल दावे की पड़ताल के बाद PIB ने जानकारी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने पर विचार करने के दावे पूरी तरह से झूठे, भ्रामक और निराधार हैं। वर्तमान में, सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। जीएसटी, कुछ उपकरणों का उपयोग करके किए गए भुगतान से संबंधित मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) जैसे शुल्कों पर लगाया जाता है। जनवरी 2020 से प्रभावी, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 30 दिसंबर 2019 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यापारी (पी2एम) यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर हटा दिया है। सरकार यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
यूपीआई को बढ़ावा देने और उसे बनाए रखने के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से एक प्रोत्साहन योजना लागू की गई है। यह योजना विशेष रूप से कम मूल्य वाले यूपीआई (पी2एम) लेनदेन को लक्षित करती है, जिससे लेनदेन लागत को कम करके छोटे व्यापारियों को लाभ मिलता है और डिजिटल भुगतान में व्यापक भागीदारी और नवाचार को बढ़ावा मिलता है।
इस योजना के तहत पिछले कुछ वर्षों में कुल प्रोत्साहन भुगतान यूपीआई-आधारित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पिछले कुछ वर्षों में इस योजना के अंतर्गत आवंटन इस प्रकार रहा है:
- वित्त वर्ष 2021-22: 1,389 करोड़ रुपए
- वित्त वर्ष 2022-23: 2,210 करोड़ रुपए
- वित्त वर्ष 2023-24: 3,631 करोड़ रुपए
एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार, 2023 में ग्लोबल रियल टाइम ट्रांजैक्शन में भारत की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत रही, जो डिजिटल भुगतान नवाचार में वैश्विक अग्रज के रूप में भारत की स्थिति की पुष्टि करता है।
यूपीआई लेनदेन मूल्य में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 21.3 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर मार्च 2025 तक 260.56 लाख करोड़ रुपए हो गया है। विशेष रूप से, पी2एम लेनदेन 59.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, यह डिजिटल भुगतान विधियों के प्रति व्यापारियों की बढ़ती स्वीकार्यता और उपभोक्ताओं के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।

Facebook



