जीएसटी प्रणाली ने राजकोषीय संघवाद की रूपरेखा बदल दीः विवेक देबरॉय
जीएसटी प्रणाली ने राजकोषीय संघवाद की रूपरेखा बदल दीः विवेक देबरॉय
नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का कहना है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली ने भारत में राजकोषीय संघवाद की रूपरेखा बदल दी है और जीएसटी राजस्व में लगातार वृद्धि होना इस सुधार की सफलता का एक पैमाना है।
देबरॉय ने जीएसटी राजस्व पर केंद्रित अपने एक कार्य-पत्र में ‘जीएसटी दर सूचकांक’ बनाने का प्रस्ताव भी रखा है। उन्होंने कहा है कि इस सूचकांक से कर दरों की सापेक्षिक गतिशीलता को परखने और कर संग्रह एवं करदाताओं के व्यवहार पर इसके प्रभाव के आकलन में मदद मिलेगी।
देबरॉय ने कहा, ‘जुलाई, 2017 में भारत में जीएसटी की शुरूआत ने न केवल अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया बल्कि इसने भारत में राजकोषीय संघवाद की रूपरेखा भी बदल दी। जीएसटी राजस्व में लगातार वृद्धि होना इस सुधार की सफलता का एक मजबूत पैमाना है।’
उन्होंने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग करके जीएसटी संग्रह दर की गणना की एक व्यवस्था बनाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि राजस्व मॉडलिंग में कई अनुप्रयोग हो सकते हैं और यह समय एवं भौगोलिक क्षेत्रों में रुझानों का विश्लेषण करने के साथ नीति निर्माण में भी मददगार हो सकता है।
देबरॉय ने कहा, ‘हम एक जीएसटी दर सूचकांक बनाने का प्रस्ताव रखते हैं। यह सूचकांक प्रभावी दर का एक संकेतक होगा और इसकी गणना सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए की जाएगी।’
उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद से छह वर्षों में जीएसटी राजस्व संग्रह लगातार मजबूत हुआ है। यह बात घरेलू आपूर्ति पर संग्रह और आयात पर भुगतान किए गए एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) दोनों के लिए सच है।
देबरॉय ने कहा कि जहां जीएसटी लागू होने के बाद कर संग्रह की रफ्तार कम हो गई है, वहीं कर दरों में लगातार कमी के बावजूद जीएसटी के तहत कर संग्रह में उछाल आया है।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
रमण

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