उच्च न्यायालय ने नये वाहनों का शत- प्रतिशत नुकसान का बीमा अनिवार्य करने के आदेश को स्थगित रखा |

उच्च न्यायालय ने नये वाहनों का शत- प्रतिशत नुकसान का बीमा अनिवार्य करने के आदेश को स्थगित रखा

उच्च न्यायालय ने नये वाहनों का शत- प्रतिशत नुकसान का बीमा अनिवार्य करने के आदेश को स्थगित रखा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : September 2, 2021/7:09 pm IST

चेन्नई, दो सितंबर (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने नए मोटर वाहनों के लिए अनिवार्य रूप से पांच साल तक शत प्रतिशत नुकसान की भरपाई करने वाला पूर्ण बीमा (बंपर-टू-बंपर) कराने के अपने आदेश को फिलहाल स्थगित रखा है।

साधारण बीमा कंपनी (जीआईसी) ने अदालत से अनुरोध किया था कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) की मंजूरी के बिना इस फैसले को लागू नहीं किया जा सकता है और ऐसा करने के लिए 90 दिनों की जरूरत होगी।

इसके बाद न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने चार अगस्त को पारित अपने आदेश को स्थगित रखने का फैसला किया।

मद्रास उच्च न्यायालय ने इससे पहले फैसला देते हुये कहा था कि एक सितंबर से बिकने वाले नये मोटर वाहनों का संपूर्ण बीमा (बंपर-टू-बंपर) अनिवार्य रूप से होना चाहिए। संपूर्ण बीमा यानी ‘बंपर-टू-बंपर’ बीमा में वाहन के फाइबर, धातु और रबड़ के हिस्सों सहित 100 प्रतिशत नुकसान का बीमा मिलता है।

जीआईसी के वकील ने बुधवार को यह मामला उठाते हुए न्यायमूर्ति वैद्यनाथन से कहा कि इरडई एक नियामक संस्था है और इसकी मुख्य भूमिका बीमा व्यवसाय के क्षेत्र में सामने आने वाले सामान्य मुद्दों के संबंध में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों दोनों के साथ तालमेल स्थापित करना है। इसलिए, यह जरूरी है कि जीआईसी और इरडई, दोनों को इस अपील में पक्षकार बनाया जाए और उनकी बात सुनी जाए।

उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवहन आयुक्त ने 31 अगस्त को राज्य के सभी क्षेत्रीय परिवहन विभागों को अदालत के आदेश का प्रभावी कार्यान्वयन करने के लिए एक परिपत्र जारी किया था।

जीआईसी के वकील ने 31 अगस्त को एक याचिका दायर कर कहा था कि बीमा कंपनियां अदालत के आदेशों का पालन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे केवल उन उत्पादों का वितरण करती हैं, जिन्हें इरडई मंजूरी देता है।

उन्होंने अनुरोध किया कि बीमा कंपनियों को इरडई की मंजूरी के बाद कंप्यूटर सिस्टम में बदलाव करने के लिए 90 दिनों का वक्त चाहिए। तब तक, अदालत अपने आदेश को स्थगित कर सकती है।

न्यायाधीश ने कहा कि जीआईसी के वकील की दलीलों के मद्देनजर इस अदालत का विचार है कि जीआईसी और इरडाई इस मामले के जरूरी पक्ष हैं और इसके साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव, परिवहन विभाग और संयुक्त परिवहन आयुक्त (आर) भी इसके पक्षकार होंगे।

अदालत ने इस बीच चार अगस्त को पारित अपने आदेश को फिलहाल स्थगित कर दिया। पक्षकारों को सुनने के बाद जरूरी होने पर कोई स्पष्टीकरण जारी किया जा सकता है।

भाषा

पाण्डेय महाबीर

महाबीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)