फ्रांस की कंपनियों को विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भारत कर सकता मदद

फ्रांस की कंपनियों को विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भारत कर सकता मदद

फ्रांस की कंपनियों को विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भारत कर सकता मदद
Modified Date: June 3, 2025 / 10:28 pm IST
Published Date: June 3, 2025 10:28 pm IST

पेरिस, तीन जून (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को यहां कहा कि भारत, फ्रांस की कंपनियों को वैश्विक बाजारों में लाभ उठाने के लिए विनिर्माण क्षेत्र में अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद कर सकता है।

उन्होंने कहा कि यह एक साझा मिशन हो सकता है, जहां फ्रांस और भारत द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

भारत और फ्रांस की कंपनियों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि मौजूदा आंकड़े उनकी वास्तविक क्षमता को नहीं दर्शाते हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण एक ऐसी चीज है, जहां हम फ्रांस की कंपनियों को विश्व बाजारों पर कब्जा करने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद कर सकते हैं। और यह एक ऐसा मिशन हो सकता है, जहां फ्रांस और भारत एक साथ काम कर सकते हैं।’’

गोयल ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत ‘बहुत’ तेज गति से आगे बढ़ रही है और इस भरोसे को तब तक पूरा नहीं किया जा सकता जब तक कि दोनों देशों की कंपनियां इस संबंध को बढ़ाने के लिए आक्रामक तरीके से एक साथ काम नहीं करते।

मंत्री ने कंपनियों से आग्रह किया कि वे समझौते के लागू होने के बाद इसका पूरा लाभ उठाएं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने मित्र (फ्रांस के विदेश व्यापार मंत्री लॉरेंट सेंट-मार्टिन) से सहमत हूं कि हम दो महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के बीच 15 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हो सकते।’’

गोयल ने कहा, ‘‘हम दोनों पक्षों द्वारा वर्तमान में किए जा रहे निवेश के स्तर से कैसे खुश हो सकते हैं? हम पैमाने के मामले में बहुत कुछ जोड़ सकते हैं। गति के मामले में हम बहुत कुछ जोड़ सकते हैं।’’

भारत का 2024-25 में फ्रांस को निर्यात आठ अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 7.3 अरब डॉलर था।

उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करना है।’’

भाषा रमण अजय

अजय


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