भारत ने अमेरिका को ‘नुकसान’ पहुंचाया, अब कर रहा शून्य-शुल्क की पेशकश: ट्रंप
भारत ने अमेरिका को ‘नुकसान’ पहुंचाया, अब कर रहा शून्य-शुल्क की पेशकश: ट्रंप
(योषिता सिंह) (फाइल तस्वीर के साथ)
न्यूयॉर्क/ वाशिंगटन, तीन सितंबर (भाषा) भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत ने अब उनके सामने ‘शून्य शुल्क’ की पेशकश की है।
ट्रंप ने मंगलवार को एक साक्षात्कार में कहा कि भारत ने अमेरिका पर अब तक ऊंचे शुल्क लगाकर ‘नुकसान’ पहुंचाया है लेकिन खुद पर अधिक शुल्क लगाए जाने के बाद अब उसने शून्य शुल्क की पेशकश रखी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने रेडियो शो ‘द स्कॉट जेनिंग्स शो’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘भारत हमारे खिलाफ शुल्क लगाता है। चीन हमारे खिलाफ बहुत शुल्क लगाता है। ब्राजील भी ऐसा करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सबसे अधिक शुल्क लगाने वाला देश रहा है। लेकिन अब उन्होंने मुझे भारत में शून्य शुल्क की पेशकश की है।’
ट्रंप ने पिछले महीने भारतीय उत्पादों के आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क और रूसी तेल की खरीद जारी रखने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इस तरह 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में कुल 50 प्रतिशत शुल्क लग रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि उन्हें शुल्क लगाने की प्रक्रिया और उसके प्रभाव को लेकर दुनिया में सबसे अच्छी समझ है।
उन्होंने कहा, ‘मैं शुल्क को दुनिया के किसी भी दूसरे व्यक्ति से कहीं बेहतर समझता हूं। मेरे शुल्क लगाने के बाद वे अपने शुल्कों को घटा रहे हैं। भारत तो सबसे अधिक शुल्क लगाने वाला देश रहा है। और अब भारत में कोई भी शुल्क न लगाने की पेशकश मेरे सामने की गई है।’
ट्रंप ने कहा, ‘अगर मैंने शुल्क नहीं लगाए होते तो वे कभी ऐसा प्रस्ताव नहीं रखते। आपको शुल्क लगाने ही होते हैं। इस तरह हम आर्थिक रूप से सशक्त बनने जा रहे हैं।’
उन्होंने कई देशों पर लगाए गए शुल्कों को अवैध करार देने के एक संघीय अपीलीय अदालत के फैसले पर कहा कि यह मुकदमा अन्य देशों द्वारा प्रायोजित है।
ट्रंप ने कहा, ‘ये देश अमेरिका का फायदा उठाते रहे थे लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर पाएंगे।’
भारत ने ट्रंप प्रशासन की तरफ से लगाए गए उच्च शुल्क को ‘अनुचित और असंगत’ बताते हुए कहा है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह वह भी अपने राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिये जरूरी कदम उठाएगा।
भाषा प्रेम
प्रेम रमण
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