भारत मजबूत आर्थिक पुनरूद्धार की ओर अग्रसर: अनुराग ठाकुर

भारत मजबूत आर्थिक पुनरूद्धार की ओर अग्रसर: अनुराग ठाकुर

भारत मजबूत आर्थिक पुनरूद्धार की ओर अग्रसर: अनुराग ठाकुर
Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 pm IST
Published Date: December 23, 2020 1:51 pm IST

पुणे, 23 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूती से पुन: वृद्धि की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि नियोजित तरीके से ‘लॉकडाउन’ में ढील दिये जाने और कुछ क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधारों को लागू करने से ऐसा संभव हो रहा है।

उन्होंने विवाद का विषय बने कृषि कानूनों का समर्थन किया और कहा कि इससे किसान और श्रमिक देानेां को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने यह करने का साहस दिखाया है जो अन्य सरकारे नहीं कर सकी थीं।

सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित ‘भारत का 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना: अवसर और चुनौतियां’ विषय पर ठाकुर ने अपने संबोधन में यह बात कही।

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उन्होंने कहा कि 2020 महामारी का साल रहा लेकिन भारत इसे ऐतिहासिक सुधारों के वर्ष के रूप में देखेगा। ऐसा वर्ष में जिसमें व्यापक स्तर पर बदलाव किये गये। प्रतिकूल हालात के बीच यह अवसरों का वर्ष के रूप में जाना जाएगा।

ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्रत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से यह सही कहा कि वे चुनौतियों के बीच अवसर तलाशें और भारत ने प्रतिकूल हालात के बीच मौकों को देखा।

ठाकुर ने जम्मू कश्मीर से वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह साल 2020 ने भारत को वैश्वीकरण का एक नया दृष्टिकोण दिया….इस वर्ष ने भारत को वैश्विक वृद्धि के इंजन के रूप में उभरने का अवसर दिया है।’’

ठाकुर ने कहा कि अन्य देशों की तरह भारत में भी कोरोना वायरस महामारी के दौरान आर्थिक वृद्धि और गतिविधियां बुरी तरीके से प्रभावित हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘धीरे-धीरे और सोच विचारकर कारोबारी गतिविधियों को शुरू किये जाने की अनुमति से हम अब मजबूत आर्थिक पुनरूद्धार की ओर बढ़ रहे हैं। यह सब मजबूत बुनियाद और कुछ संरचनात्मक सुधारों के कारण संभव हो पाया है।’’

कृषि कानूनों के बारे में मंत्री ने कहा कि लोग बदलाव की बात करते रहे लेकिन ऐसा कर नहीं सके।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने कृषि सुधारों को लागू करने का साहस दिखाया। इससे किसान और श्रमिक दोनों को लाभ होगा।’’

किसान संगठन नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर


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