भारत, ब्रिटेन ने वीजा, ईवी रियायतों पर गतिरोध दूर करने के लिए प्रतिबद्धता जताई

भारत, ब्रिटेन ने वीजा, ईवी रियायतों पर गतिरोध दूर करने के लिए प्रतिबद्धता जताई

भारत, ब्रिटेन ने वीजा, ईवी रियायतों पर गतिरोध दूर करने के लिए प्रतिबद्धता जताई
Modified Date: December 15, 2023 / 07:34 pm IST
Published Date: December 15, 2023 7:34 pm IST

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) भारत और ब्रिटेन प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में घरेलू पेशेवरों को वीजा देने और ब्रिटिश इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को शुल्क में रियायत देने से संबंधित मुद्दों के समाधान की कोशिश में लगे हुए हैं। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

एफटीए से संबंधित इन मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच बने गतिरोध को दूर करने के लिए इस समय भारतीय अधिकारियों का एक दल ब्रिटेन के दौरे पर पहुंचा हुआ है। इस दौरान सेवा क्षेत्र से संबंधित कुछ अन्य मामलों और ब्रिटिश व्हिस्की पर सीमा शुल्क में कटौती पर भी चर्चा होगी।

अधिकारी ने बताया कि दोनों देश इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) की तरह की व्यवस्था करने की संभावनाओं पर गौर कर रहे हैं। टीआरक्यू व्यवस्था के तहत एक निर्धारित संख्या तक उत्पादों पर रियायती दर से आयात की मंजूरी होती है और उससे अधिक संख्या होने पर सामान्य शुल्क लगता है।

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ब्रिटेन की मांग है कि प्रस्तावित व्यापार समझौते में भारत उसके इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्यात पर सीमा शुल्क में रियायत दे।

वहीं भारत अपनी सेवा कंपनियों के लिए ब्रिटेन से उदार वीजा प्रणाली की मांग कर रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘सेवा कंपनियों को अपने कुशल पेशेवरों को ब्रिटेन भेजने की जरूरत होती है। ऐसे में उनके लिए वीजा प्रणाली सुविधाजनक होनी चाहिए।’

हालांकि वीजा को लेकर ब्रिटेन को एतराज है। उसका कहना है कि यूरोपीय संघ से अलग होने यानी ब्रेक्सिट के पीछे का असली मुद्दा आव्रजन ही था।

इस पर अधिकारी ने कहा, ‘हमें ब्रिटेन की आव्रजन चिंताओं के साथ अपनी चिंताओं का तालमेल बिठाना होगा। बात यह है कि हम अपनी कंपनियों को आवाजाही रखते हुए देखना चाहेंगे ताकि वे प्रदर्शन कर सकें। वहीं ब्रिटेन की चिंता यह है कि आव्रजन बेकाबू न हो जाए।’

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत का दौर जनवरी, 2022 में शुरू हुआ था। इसे पिछले साल की दिवाली तक ही पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन कुछ बिंदुओं पर गतिरोध बने रहने से ऐसा अब तक नहीं हो पाया है। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण


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