भारत में हाइड्रोजन मांग सालाना तीन प्रतिशत बढ़कर 2032 तक 88 लाख टन होगी

भारत में हाइड्रोजन मांग सालाना तीन प्रतिशत बढ़कर 2032 तक 88 लाख टन होगी

भारत में हाइड्रोजन मांग सालाना तीन प्रतिशत बढ़कर 2032 तक 88 लाख टन होगी
Modified Date: July 8, 2025 / 02:55 pm IST
Published Date: July 8, 2025 2:55 pm IST

नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) देश में हाइड्रोजन की मांग 2032 तक तीन प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ 88 लाख टन प्रति वर्ष होने की उम्मीद है। भारत ऊर्जा भंडारण गठबंधन (आईएसए) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

भारत ऊर्जा भंडारण सप्ताह के पहले दिन यहां जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 90 लाख टन सालाना से अधिक क्षमता की हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं की घोषणाओं के बावजूद, उनमें से कुछ ही अंतिम निवेश निर्णय पर पहुंच पाई हैं या घरेलू अथवा अंतरराष्ट्रीय बाजारों से दीर्घकालिक खरीद को लेकर समझौते किए गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 92 लाख टन सालाना हरित हाइड्रोजन परियोजना घोषणाओं में से 82 प्रतिशत चार राज्यों में हैं। ये राज्य हैं… ओडिशा (38 प्रतिशत), गुजरात (26 प्रतिशत), कर्नाटक (12 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (6 प्रतिशत)।

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घोषित परियोजनाओं में से लगभग 72 प्रतिशत अमोनिया उत्पादन के लिए हरित हाइड्रोजन के उपयोग को को लेकर है। जबकि 20 प्रतिशत ने अंतिम उपयोग के बारे में घोषणा नहीं की है।

आईईएसए के अध्यक्ष देबमाल्या सेन ने कहा, ‘‘यह सम्मेलन भारत के लिए एक मजबूत ऊर्जा प्रणाली में बदलाव का रास्ता साफ करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हम अपनी बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा कर सकें और साथ ही 2030 तक 50 लाख टन सालाना हरित हाइड्रोजन की उत्पादन क्षमता के अपने लक्ष्य को भी ध्यान में रख सकें।’’

कस्टमाइज्ड एनर्जी सॉल्यूशंस (सीईएस) के प्रबंध निदेशक विनायक वालिम्बे ने कहा कि हरित हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों और सरकारी उपायों के बावजूद, कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के मुद्दे के समाधान को लेकर कई चुनौतियां बनी हुई हैं।

हाइड्रोजन प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं के लिए भंडारण और परिवहन व्यय के कारण हाइड्रोजन की लागत और भी अधिक है। ये उपभोक्ता कुल हाइड्रोजन बाजार का लगभग छह प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं।

भारत ऊर्जा भंडारण सप्ताह-2025 के 11वें संस्करण की शुरुआत मंगलवार को यहां आईआईसीसी यशोभूमि में हुई। इसका आयोजन आईईएसए कर रहा है।

भाषा रमण अजय

अजय


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